पढ़ें पीपल, तुलसी ,नीम अभियान चला हरियाली भरने वाले डॉक्टर की कहानी

वें पेशे से डॉक्टर हैं। इंसानों की सेहत दुरुस्त करने के साथ हीं वे प्रकृति की सेहत की चिंता कर उसे सुधारने संवारने में जुटे हैं। पीपल, तुलसी , नीम अभियान के जरिए अब तक हजारों पौधे लगा चुके हैं। इसी अभियान के तहत गया से लुंबिनी तक ग्रीन कोरिडोर बनाने का संकल्प लें पीपल,

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गांव में नहीं होता था इलाज फिर डॉक्टर बने खोला मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल, अब हर प्रखंड में अदद अस्पताल खोलने का सपना

उस शख्स का जन्म एक ऐसे गांव में हुआ जहां तक विकास की रौशनी लोगों की आंखों से ओझल थी बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सपनों तक सिमटे थे। इलाज के लिए है नीम हकीम और झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा। ऐसे में जब होश संभाला तो गांव की ये समस्याएं मन को विचलित करती रहती। पढाई

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कहानी,कार्टून से क्रांति का प्रवाह लाने वाले पवन की

छुटपन में ही नन्हीं अंगुलियों ने पेंसिल की जुगलबंदी सीख ली। आड़ी – तिरछी रेखाएं खींच कभी चाचा चौधरी का कैरेक्टर कागज पर उतारते तो कभी साबू और नागराज का कार्टून बनाते।धीरे -धीरे यह पात्र रोजमर्रा के जीवन से चुने और बुने जाने लगे। बच्चों के लिए छपने वाले पराग में रचनाएं छपने लगी। फिर

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सत्य की रक्षा के लिए नौकरी छोड़ी, अब वकील बन बिना फीस लड़ते हैं मानवाधिकार की लड़ाई

यह कहानी एक ऐसे इंसान की है जिसने सत्यमेव जयते की सार्थकता सिद्ध करने के लिए अपने सुनहरे वर्तमान और भविष्य की कुर्बानी दे दी। न सिर्फ कोटा के प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट की जमी -जमाई नौकरी छोड़ी, बल्कि पेशा हीं बदल दिया ‌‌। रिश्वतखोर भ्रष्ट पुलिस अधिकारी का सच उजागर करने का प्रण लिए वकालत की

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‘थकी आंखों’ को रौशन करने की जैन समाज के इस अनोखी पहल को जान लीजिए

लाल, पीले, हरे , गुलाबी, कुदरत ने इस दुनिया में ढ़ेर सारे रंग दिए और इन रंगों को देखने के लिए दी आंखें पर क्या आप जानते हैं कि देश में 62.6 फीसदी लोगों के आंखों की रौशनी मोतियाबिंद के कारण चली गई है। हर साल भारत में मोतियाबिंद के लगभग20 लाख मामले सामने आते

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महिलाओं में जोश भर रही यह साइकिल वाली ‘आशा’

बचपन में सर से पिता का साया उठ गया। खेल- खिलौने का वक्त मुफलिसी के बीच बीता। मां मजदूरी कर दो पैसे जोड़ती और उससे किसी तरह जलता घर में दो वक्त का चूल्हा। कभी एक शाम बस ग़म का निवाला खा पेट भर लेना होता। उम्र बढ़ी तो मां के कंघे से कंघा मिला

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कहानी झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो के संघर्ष की

आंखों में आदिवासियों की बदतर जिंदगी का दर्द , दिल में हालात बदलने का जज्बा और अपने गुरु शिबू सोरेन के बताए पथ पर चलते रहने का संकल्प। यह कहानी उस शख्स की है जिन्होंने अपनी जवानी झारखंड आंदोलन की आंच में होम कर दी। जेल भी गए पर टूटे नहीं। अपने प्रण को कठिन

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राजनेता ‘ एक कोशिश उनके नजरिए को समझने की

किसी भी देश या प्रदेश की राजनीति उस देश या प्रदेश को दिशा देती है और इसकी कमान होती है वहां के राजनेताओं के कांधे पर। बदलते ज़माने के साथ राजनेताओ का नाम आते ही जेहन में एक अलग सी तस्वीर उभरने लगती है।एक दबंग, कुख्यात, अमीर और कुटिल से चरित्र की छवि मस्तिष्क पर

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