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वें पेशे से डॉक्टर हैं। इंसानों की सेहत दुरुस्त करने के साथ हीं वे प्रकृति की सेहत की चिंता कर उसे सुधारने संवारने में जुटे हैं। पीपल, तुलसी , नीम अभियान के जरिए अब तक हजारों पौधे लगा चुके हैं। इसी अभियान के तहत गया से लुंबिनी तक ग्रीन कोरिडोर बनाने का संकल्प लें पीपल, नीम, तुलसी लगाए जा रहे हैं। राजधानी पटना में इनके प्रयास से कई बंजर इलाकों में हरियाली लौट आई है। कोशिश कंक्रीट के शहरों में हरियाली भरने की है। एक अस्पताल और नर्सिंग कॉलेज के संचालन की जवाबदेही के बाद भी वे इस अभियान में रमे है। आज कहानी हरियाली लौटाने वाले डॉक्टर नरेश प्रसाद प्रियदर्शी की

पाटलिपुत्र शहर आज कंक्रीटों का शहर बन गया है। हर और अपार्टमेंट, फ्लाईओवर, आसमान से बतियाते टावर बन गए हैं, बन रहे हैं। यह विकास हमें कितना महंगा पड़ रहा शायद हमें इसका एहसास नहीं। हम जाने अंजाने मिट्टी और वायु दोनों को दूषित करते जा रहे हैं। ऐसे में हमने अपनी जिंदगी को भी बीमारियों के गाल में झोंक दिया है। कहते हैं डॉक्टर नरेश प्रसाद प्रियदर्शी वे आगे कहते हैं कि पटना या पाटलिपुत्र में कभी पाटिल के पेड़ों से घिरा होता था। हाल के दिनों तक बेली रोड के दोनों और घने पेड़ थे। अब सभी विकास की भेंट चढ़ गए। धरती की मिट्टी पर कंक्रीट की परत चढ़ रही है। पेड़ अमीर घरों के गमलों में सिमट आए हैं। आंगन वाले घर खत्म हो गए तो आंगन की तुलसी भी खत्म हो गई। ऐसे में हमारी कोशिश पीपल , नीम, तुलसी अभियान के तहत धरती की गुम हो रही हरित पट्टी को इन गुणकारी पेड़ों से भरने की है।


ऐसे चलता है अभियान

डॉक्टर नरेश प्रसाद प्रियदर्शी बताते हैं कि यह अभियान पिछले तीन सालों से तेज गति के साथ चल रहा है। इस अभियान में अलग-अलग विधाओं में कार्यरत लोग जुड़े हुए हैं और प्रत्येक रविवार को सभी एक स्थान पर इकट्ठा होते हैं और फिर योजनानुसार वृक्षारोपण का कार्य चलता है। हम सभी दो घंटे तक श्रमदान करते हैं।हमारी टीम में वर्तमान में 100 सक्रिय सदस्य कार्य कर रहे इसके साथ ही विद्यार्थी और अन्य समूहों की हिस्सेदारी समय-समय पर होती रहती है।‌

पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी भी

हम सिर्फ पौधे लगाते ही नहीं है। उसके बड़े होने तक उसकी देखभाल भी करते हैं। उसमें समय समय पर पानी और खाद भी देते रहते हैं। बड़े होने पर पेड़ खुद अपना पोषण कर लेता है कहते हैं डॉक्टर नरेश प्रसाद प्रियदर्शी वे यह भी बताते हैं कि अब तक हम लोगों ने एक लाख पेड़ लगाए हैं।

बना रहे बोधी वृक्ष कॉरिडोर

डॉ नरेश प्रसाद प्रियदर्शी बताते हैं कि हम बोधी वृक्ष कॉरिडोर भी बनाने में जुटे हैं यह गया से लुंबिनी तक पीपल के पेड़ों का कॉरिडोर बना रहे हैं। इसकी शुरुआत राजगीर से की गई है। इसके तहत हम हम पीपल के पेड़ लगा रहे हैं।
यह ग्रीन कोरिडोर अपने आप में अनोखा होगा। इसके बुद्ध सर्किट से गुजरने वाले पर्यटकों को शुद्ध हवा और शीतल छाया मिल पाएगी।

पर्यावरण प्रबोधन भी

डॉ प्रियदर्शी आगे कहते हैं कि पर्यावरण को बचाने रखने के लिए लोगों का जागरूक होना काफी अहम है। इसे लेकर हम प्रर्यावरण प्रबोधन कार्यक्रम भी चलाते हैं। इसके तहत लोगों को जुटा कर उन्हें पेड़ों को बचाने को लेकर जागरूक करते हैं।

नवादा में बीता बचपन

डॉ नरेश प्रसाद प्रियदर्शी का जन्म नवादा के धेवधा गांव में हुआ
। प्रारंभिक शिक्षा यही के स्कूल में हुई इसके बाद पकड़ी वरमा हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की। इंटरमीडिएट एस एन सिन्हा कालेज वारसलीगंज से किया। इसके बाद राजधानी पटना के एएन कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई पूरी की। दरभंगा मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद पोस्टर ग्रेजुएट बैंगलोर के राजीव गांधी विश्वविद्यालय से किया। कोच्चि से पैथोलॉजी में डिप्लोमा किया। पढ़ाई पूरी होने के बाद लगभग डेढ़ साल तक मेडिकल अफसर के रूप में पंजाब के फिरोजपुर में कार्य किया इसके बाद पटना लौट आए और यहां जयप्रकाश नगर में निजी प्रेक्टिस करने लगे।


और श्री राज ट्रस्ट अस्पताल की शुरुआत हुई

डॉ नरेश प्रियदर्शी बताते हैं कि प्रेक्टिस काफी बेहतर चल रहा था। ज्यादा से ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिल सके इसे लेकर मन में एक अदद अस्पताल बनाने की चाह थी। इसे लेकर ही हमने श्री राज ट्रस्ट बनाया। 2008 में पिता जी श्री प्रसाद चौरसिया जी के द्वारा इसी ट्रस्ट के अंतर्गत अस्पताल की नींव रखी गई। हमारा यह अस्पताल मरीजों को भगवान मानते हुए सहज, सरल, सफल चिकित्सक का मूल मंत्र लेकर स्थापना काल से ही कार्य कर रहा है। हम सरकार की सभी योजनाओं के साथ कदमताल मिलकर काम करते हैं। इसके तहत अस्पताल में मासिक टीकाकरण, बंध्याकरण कार्यक्रम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, आयुष्मान भारत योजना आदि सफलता पूर्वक कार्यान्वित हो रहे हैं। इसके साथ ही ट्रस्ट नर्सिंग शिक्षा और पैरामेडिकल शिक्षा में भी आज मजबूत स्तंभ के रूप में खड़ा है। श्री राज ट्रस्ट नर्सिंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में कंपैक्ट एजुकेशन का विस्तार लक्ष्य है
।हम निर्धन छात्रों को शिक्षा में विशेष रियायतें भी उपलब्ध कराते हैं।

अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है अस्पताल

डॉ नरेश प्रसाद प्रियदर्शी बताते हैं कि उनके ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पताल में अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएं मौजूद हैं। यहां 24। घंटे इमरजेंसी मरीज़ देखें जाते हैं। इसके साथ ही ओपीडी सुविधा भी मौजूद है। अस्पताल में राजधानी पटना के कई वरिष्ठ चिकित्सक अपनी सेवाएं देते हैं। डॉ प्रियदर्शी आगे कहते हैं कि हमारे अस्पताल का पहला लक्ष्य मरीज का बेहतर और सस्ता इलाज है। हमरे अस्पताल के कर्मचारी भी सेवा भाव के साथ अस्पताल में कार्य करते हैं। मैं खुद लगातार इन सब की मॉनिटरिंग करता हूं।

पिताजी का अहम योगदान

डॉ प्रियदर्शी कहते हैं कि मैं आज जो कुछ भी हूं उसमें मेरे पिताजी और माताजी का योगदान सबसे अहम है
पिताजी श्री प्रसाद चौरसिया एक साधारण से किसान थे । आमदनी काफी कम थी पर उन्होंने कभी मुझे इसका एहसास नहीं होने दिया। जब मेरी पढ़ाई में जितनी जरूरत हुई उन्होंने पैसे का इंतजार कर मुझे दिया। पिताजी ने अन्य खर्च में कटौती कर मुझे लायक बनाया।

प्रेरणा स्रोत है पत्नी

नरेश प्रसाद प्रियदर्शी की शादी 1992में डॉ पुष्पा प्रियदर्शी के साथ हुई। डॉ पुष्पा गाइनेकोलॉजिस्ट हैं। डॉ प्रियदर्शी कहते हैं कि वे हमेशा मेरे कदम से कदम मिलाकर चलती रही है। इतना ही नहीं जब जब कोई विकट समय आया उन्होंने मुझे हौसला दिया। वो मेरे लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
आज भी उनका साथ और समर्थन मुझे मिलता रहता है

इस घटना ने तोड़ दिया

6 फरवरी 2012 का जिक्र करते ही डॉक्टर नरेश प्रसाद प्रियदर्शी की आंखें भींग जाती है।
वें भरे मन से आगे बताते हैं कि उस दिन एक सड़क दुघर्टना ने हमारी बेटी स्वेता सुमन को हमसे छीन लिया। वह उस वक्त 11 वीं की पढ़ाई कर रही थी। श्वेता काफी मेघावी छात्रा थी। इस घटना ने मुझे अंदर से काफी कमजोर कर दिया। बेटी के असमय निधन का ग़म भुलाए नहीं भुलता।

डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे पुत्र

डॉ प्रियदर्शी के पुत्र हिमांशु राज डाक्टरी की पढ़ाई कर रहे। वे जवाहरलाल मेडिकल कालेज महाराष्ट्र से MBBS करने के बाद इंटर्नशिप कर रहे।


साहित्य के क्षेत्र में रूचि

डॉ नरेश प्रसाद प्रियदर्शी को साहित्य के क्षेत्र में भी गहरी रुचि है। रामधारी सिंह दिनकर उनके प्रिय कवि हैं। इसके साथ ही वे समसामयिक हिन्दी साहित्य का भी खुब अध्ययन करते हैं। डॉ नरेश प्रियदर्शी ने कई कविताएं भी लिखीं हैं। इन कविताओं में वीर रस की कविताएं खास हैं।

संस्कार के साथ शिक्षा लें छात्र

डॉ नरेश प्रसाद प्रियदर्शी कहते हैं कि आज के युवाओं को संस्कार के साथ शिक्षा लेने की जरूरत है। आज के बाद बहुत ही होनहार है वह नई तकनीक का प्रयोग भी समझते हैं। हमारा देश विवेकानंद और आचार्य कृपलानी, एपीजे अब्दुल कलाम जैसों का रहा है । हमारे युवाओं को इनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है।

फिलवक्त डॉ नरेश धरती लोगों को स्वस्थ्य बनाने के साथ ही हरियाली भरने के अभियान में जुटे हैं। वो मानते हैं कि इससे बड़ा पवित्र कार्य दूसरा नहीं है। उन्हें यकीन है कि कुछ वर्षों में पीपल, नीम, तुलसी अभियान पर्यावरण संरक्षण में एक मील का पत्थर साबित होगा।


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विवेक चंद्र

उम्मीदों के तानों पर जीवन रस के साज बजे आंखों भींगी हो, नम हो पर मन में पूरा आकाश बसे..