पढ़ें पीपल, तुलसी ,नीम अभियान चला हरियाली भरने वाले डॉक्टर की कहानी

वें पेशे से डॉक्टर हैं। इंसानों की सेहत दुरुस्त करने के साथ हीं वे प्रकृति की सेहत की चिंता कर उसे सुधारने संवारने में जुटे हैं। पीपल, तुलसी , नीम अभियान के जरिए अब तक हजारों पौधे लगा चुके हैं। इसी अभियान के तहत गया से लुंबिनी तक ग्रीन कोरिडोर बनाने का संकल्प लें पीपल,

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गांव में नहीं होता था इलाज फिर डॉक्टर बने खोला मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल, अब हर प्रखंड में अदद अस्पताल खोलने का सपना

उस शख्स का जन्म एक ऐसे गांव में हुआ जहां तक विकास की रौशनी लोगों की आंखों से ओझल थी बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सपनों तक सिमटे थे। इलाज के लिए है नीम हकीम और झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा। ऐसे में जब होश संभाला तो गांव की ये समस्याएं मन को विचलित करती रहती। पढाई

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बिना दवा हर दर्द होगा छूमंतर, लालू से लेकर पंकज त्रिपाठी तक इस युवा डॉक्टर के मुरीद

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है ? आख़िर इस दर्द की दवा क्या है ? यह मिर्जा गालिब का मशहूर शेर है।आज जहां इलाज एंटिबायोटिक्स पर आधारित हो चला है। मर्ज ठीक करने की दवाएं दूसरा मर्ज पैदा कर जाती है। वही बिहार के एक युवा डॉक्टर रजनीश देश को बिना एंटिबायोटिक्स और सर्जरी के स्वास्थ्य

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चेहरों को तराश कर उसे चांद सा खूबसूरत बनाने वाले इस युवा डॉक्टर प्रत्यूष अंशुमान मिलिए

चेहरा ऐसा मानों चांद खिला हो, और जब गुलाबी होंठ मुस्कान भरे तो चेहरे रंग नूरानी हो जाए ,ऐसे में मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह की ग़ज़ल फिजा में तैर कर कह उठें कि किसका चेहरा मैं देखूं तेरा चेहरा देखकर। खुबसूरत चेहरों पर न जाने कितने गीत बने। कितने ही शायरों ने अपनी शायराना

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कभी पढ़ाई छोड़ उठाई बंदूक, आज हजारों छात्रों को दे रहे मार्गदर्शन, पढ़ें जुनून और जीत की यह कहानी

ये कहानी उस शख्स की है जिसने अपने टूटते – जुड़ते सपनों से हताश होने की जगह उसे हथियार बना इतिहास रच डाला। जीवन के हर पहर संकटों से टकराहट होती रही। कभी पढ़ाई बीच में छूटी तो कभी कलम वाले हाथ में बंदूक थामने की नौबत आ गई। सपने बनते बिखरते रहे पर नहीं

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मुफलिसी से लड़कर अपने जायके की खुशबू को सात समंदर पार तक पहुंचाने वाले गोपाल कुशवाहा की कहानी

उनकी शुरुआती जिंदगी गरीबी से दो-दो हाथ करते बीती। मुफलिसी इतनी कि त्योहारों में भी सूखी रोटी ही नसीब होती। कम कीमत पर खरीदे पुराने कपड़े से तन ढकने का काम चलता। उस शख़्स ने कुंडली मारकर बैठी गरीबी की रेखा को अपने जीवन की रेखा से निकाल फेंकने का प्रण किया और मन में

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इनसे सीखिए जिंदगी का हुनर, फोर्थ स्टेज कैंसर से लड़ बांट रहे जिंदादिली…

होंठों पर मुस्कान.. आंखों में सतरंगी सपनों की बसावट और दिल में लव यूं जिंदगी की जिद लिए धड़कती जिंदादिली.. बात बस यही तक नहीं है इनके चेहरे पर फैला बालपन सा उत्साह यह देखकर आप समझ नहीं पाएंगे कि आखिर मौत का दूसरा नाम कहीं जाने वाले खतरनाक कैंसर के फोर्थ स्टेज से दो

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भारत की इस बेटी के प्रयास से ‘कतर’ में मुस्कुरा रही है प्रकृति, पढ़ें पूरी कहानी

यह कहानी भारत में जन्मे और पली-बढ़ी श्रेया सूरज की है। श्रेया वैसे तो गणित की शिक्षिका है पर इनके अंदर एक कलाकार का दिल धड़कता है। वैसा कलाकार जो प्रकृति की खूबसूरती को बचाने और संवारने में जुटा है। श्रेया समुद्र तटों की सफाई करती हैं। समुद्र के कचरे को इकट्ठा करती है और

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