पत्र और पत्रकार के विश्वास पर संकट वाले दौर में इस कलमकार की कहानी पढ़ें, आनंद आएगा…

उस शख्स के पिता सत्तारूढ़ दल के विधानपार्षद थे और उस शख्स की कलम उसी पार्टी और सत्ता के खिलाफ आग उगलती रही। कई बार धमकियां भी मिलीं पर आजाद कलम ने थमने की जगह और रफ्तार पकड़ ली। जेल की बंदिनी पर स्पेशल रिपोर्ट जब पत्रिका ने छापने से मना कर दिया तो देश

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कहानी,कार्टून से क्रांति का प्रवाह लाने वाले पवन की

छुटपन में ही नन्हीं अंगुलियों ने पेंसिल की जुगलबंदी सीख ली। आड़ी – तिरछी रेखाएं खींच कभी चाचा चौधरी का कैरेक्टर कागज पर उतारते तो कभी साबू और नागराज का कार्टून बनाते।धीरे -धीरे यह पात्र रोजमर्रा के जीवन से चुने और बुने जाने लगे। बच्चों के लिए छपने वाले पराग में रचनाएं छपने लगी। फिर

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सत्य की रक्षा के लिए नौकरी छोड़ी, अब वकील बन बिना फीस लड़ते हैं मानवाधिकार की लड़ाई

यह कहानी एक ऐसे इंसान की है जिसने सत्यमेव जयते की सार्थकता सिद्ध करने के लिए अपने सुनहरे वर्तमान और भविष्य की कुर्बानी दे दी। न सिर्फ कोटा के प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट की जमी -जमाई नौकरी छोड़ी, बल्कि पेशा हीं बदल दिया ‌‌। रिश्वतखोर भ्रष्ट पुलिस अधिकारी का सच उजागर करने का प्रण लिए वकालत की

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‘थकी आंखों’ को रौशन करने की जैन समाज के इस अनोखी पहल को जान लीजिए

लाल, पीले, हरे , गुलाबी, कुदरत ने इस दुनिया में ढ़ेर सारे रंग दिए और इन रंगों को देखने के लिए दी आंखें पर क्या आप जानते हैं कि देश में 62.6 फीसदी लोगों के आंखों की रौशनी मोतियाबिंद के कारण चली गई है। हर साल भारत में मोतियाबिंद के लगभग20 लाख मामले सामने आते

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महिलाओं में जोश भर रही यह साइकिल वाली ‘आशा’

बचपन में सर से पिता का साया उठ गया। खेल- खिलौने का वक्त मुफलिसी के बीच बीता। मां मजदूरी कर दो पैसे जोड़ती और उससे किसी तरह जलता घर में दो वक्त का चूल्हा। कभी एक शाम बस ग़म का निवाला खा पेट भर लेना होता। उम्र बढ़ी तो मां के कंघे से कंघा मिला

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हौसलों के “जुगनू “थाम बदनाम गलियों से मानव अधिकार आयोग के सलाहकार तक का सफर,

ये कहानी नसीमा की है। उन नसीमा की जो बदनाम तंग गलियों में पली बढ़ी और अपने हौसलों के दम पर न सिर्फ खुद की किस्मत बदली बल्कि सेक्स वर्करों की बेटियों के जीवन सुधारने की मुहिम भी चलाई। मुजफ्फरपुर के रेडलाइट इलाके चतुर्भुज स्थान से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सलाहकार तक का सफर तय

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अंधेरे वक्त में उम्मीदों के अरूण बन जीवन का उजियारा बांट रहे इस डाक्टर की कहानी जरूर पढ़ें…

यह कहानी एक वैसे डॉक्टर के हौसलों की बानगी है जिन्होंने अपने मजबूत इरादों से उत्तर बिहार में सालों से कहर बरपा रहे चमकी बुखार की न सिर्फ वजह ढूंढी, बल्कि उसे हारने पर मजबूर कर दिया। इनकी कोशिशों से इस इलाके में चमकी का खौफ लगभग थम गया है और बच्चों के चेहरों पर

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स्वस्थ भारत का अलख जगा रहे बिहार के डॉक्टर निखिल

“उनकी आंखों में स्वस्थ भारत का सपना पलता है। उनकी पहल से सुदूर ग्रामीण इलाकों की फिजा में जागरूकता आ रही है। गांव के लोग स्वास्थ्य के प्रति सजग हो रहे । इनके प्रयासों से जिंदगी का गुलशन गुलजार हो रहा है। आशाओं का दामन थाम हाशिए पर रह रहे लोगों की दिन रात मदद

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