इसे पागलपन कहें या जुनून.. ड्राइवर ने टैक्सी को बना दिया चलता-फिरता बगीचा.. अब सफर को बेताब लोग

कोलकाता की सड़कों पर फर्राटे भरती हुई पीली टैक्सी तो बहुत देखी होगी आपने. लेकिन ये टैक्सी कुछ अलग है. कार की छत पर धातु के कंटेनर हैं. जिनके नीचे मिट्टी, सफेद रेत और...

इसे पागलपन कहें या जुनून.. ड्राइवर ने टैक्सी को बना दिया चलता-फिरता बगीचा.. अब सफर को बेताब लोग

कोलकाता की सड़कों पर फर्राटे भरती हुई पीली टैक्सी तो बहुत देखी होगी आपने. लेकिन ये टैक्सी कुछ अलग है. कार की छत पर...

ट्राम अतीत नहीं भविष्य है.. कोलकाता की 150 साल पुरानी विरासत यूं खत्म हो जाएगी?

भारत का इकलौता शहर कोलकाता जहां आज भी ट्राम चलती है. बीते डेढ़ सौ साल से ये यहां के लोगों की हमसफर रही है....

एक शहर जो विश्वास की बदौलत चलता है.. पढ़िए आपसी भरोसे की मिसाल कायम करने वाली कहानी

बिना कैश काउंटर के बेकरी, जहां आप अपनी मर्जी से चीजें खरीद सकते हैं और उचित मूल्य लगाकर भुगतान भी. बिना किसी शुल्क के...

दिल्ली के इस इलाके में हर साल तैयार होता हजारों ‘रावण’… इनके जलने से हजारों घर चलते हैं

जब देशभर में शक्ति की देवी की आराधना होती है. भजन, कीर्तन, आरती, यज्ञ, हवन आदि-आदि. उसी समय दिल्ली के तीतरपुर इलाके में हजारों...
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भारत की इस बेटी के प्रयास से ‘कतर’ में मुस्कुरा रही है प्रकृति, पढ़ें पूरी कहानी

यह कहानी भारत में जन्मे और पली-बढ़ी श्रेया सूरज की है। श्रेया वैसे तो गणित की शिक्षिका है पर इनके अंदर एक कलाकार का...

स्वस्थ भारत का अलख जगा रहे बिहार के डॉक्टर निखिल

"उनकी आंखों में स्वस्थ भारत का सपना पलता है। उनकी पहल से सुदूर ग्रामीण इलाकों की फिजा में जागरूकता आ रही है। गांव के...
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‘थकी आंखों’ को रौशन करने की जैन समाज के इस अनोखी पहल को जान लीजिए

लाल, पीले, हरे , गुलाबी, कुदरत ने इस दुनिया में ढ़ेर सारे रंग दिए और इन रंगों को देखने के लिए दी आंखें पर...

हौसलों के “जुगनू “थाम बदनाम गलियों से मानव अधिकार आयोग के सलाहकार तक का सफर,

ये कहानी नसीमा की है। उन नसीमा की जो बदनाम तंग गलियों में पली बढ़ी और अपने हौसलों के दम पर न सिर्फ खुद...

सत्य की रक्षा के लिए नौकरी छोड़ी, अब वकील बन बिना फीस लड़ते हैं मानवाधिकार की लड़ाई

यह कहानी एक ऐसे इंसान की है जिसने सत्यमेव जयते की सार्थकता सिद्ध करने के लिए अपने सुनहरे वर्तमान और भविष्य की कुर्बानी दे...

महिलाओं में जोश भर रही यह साइकिल वाली ‘आशा’

बचपन में सर से पिता का साया उठ गया। खेल- खिलौने का वक्त मुफलिसी के बीच बीता। मां मजदूरी कर दो पैसे जोड़ती और...

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