“आंखों के भींगे कोर से, मैं आपकी शीतलता महसूस कर लेता हूं” डॉ.श्रीपति त्रिपाठी की बाबूजी को पाती

माता -पिता ने हमें यह अनमोल जीवन दिया। चलना जीना सिखाया। अपनी खुशियों को न्योछावर कर हमारे होंठों पर मुस्कान भरी। एक सुपर मैन की तरह हमारे आस -पास कवच बन खड़े रहे। हमारी हर खुशी में खुश हुए, गम से निकलने की हिम्मत दी। क्यों न माता-पिता की , बातों, और यादों को एक

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