दिल्ली के इंडिया गेट पर दिखेंगे Charlie Chaplin, इनकी कहानी से मिलेगी जीने की राह

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टीवी पर (Charlie Chaplin) चार्ली चैपलिन को तो हम सबने देखा है. चार्ली का अनोखा ढंग, मजाकिया अंदाज को देखकर खूब लोटपोट हुए हैं. लेकिन कभी दिल्ली के इंडिया गेट पर आपको चार्ली चैपलिन नजर आ जाएं, तो चौंकिएगा मत. क्योंकि ये वाला Charlie टीवी वाला तो नहीं, लेकिन हां उन्हीं के गेटअप में जरूर रहता है. तो आइये इस Charlie Chaplin को जानते हैं.

उम्र 60 के पार हो चली है. कद काफी छोटा पर दिल और हौसला बड़ा है. चार्ली चैपलिन के गेटअप में लोगों को गुदगुदाते, उनके चेहरों पर मुस्कान लाते ये हैं मोनू. दिल्ली घूमने आने वाले लोगों को इंडिया गेट पर हैपीनेस का बूस्टर डोज लगाकर भेजने वाले मोनू का जीवन कठिनाइयों से भरा रहा है.

दिल्ली की सड़कों पर दो साल भटकते रहे

मोनू मूल रूप से नागपुर के रहने वाले हैं, लेकिन सालों पहले नौकरी की तलाश में दिल्ली आए थे. लेकिन छोटा कद होने के कारण इन्हें हर जगह प्रताड़ना और भेदभाव का सामना करना पड़ा. इस तरह से उन्होंने दो साल दिल्ली की सड़कों पर गुजार दिया. मांग कर अपनी जरूरतों को पूरा करते. उन्हें नहीं पता था कि जिंदगी किस दिशा ले जाएगी.

ये है Charlie Chaplin बनने की कहानी

तभी सड़कों पर जिंदगी काटते मोनू पर एक परिवार की नजर पड़ी. लिपि नाम की महिला ने अपने परिवार में मोनू को शामिल कर लिया. अब वे मोनू को मामू बुलाने लगे. दो साल तक जो मोनू इधर उधर भटक रहे थे, अब उनके पास एक परिवार था. यहां से शुरू होती है मोनू के Charlie Chaplin बनने की कहानी.

लिपि कहती हैं, “हमने टीवी में देखा था चार्ली चैपलिन को. हमने सोचा का मामू (मोनू) को भी ऐसा बनाएं और कुछ पैसा कमाएं. हमने मामा को जब ऐसा बनाया 2016-17 में, तो पब्लिक उसे खूब पसंद करने लगी.”

मोनू पिछले कई सालों से इंडिया गेट के पास रोज करीब 8 घंटे चार्ली चैपलिन का रोल परफॉर्म करते हैं. तस्वीर खिंचवाने के लिए छोटी फीस लेते हैं, जिससे उनके परिवार का भरण पोषण हो सके.

मोनू, (Charlie Chaplin के किरदार में)

मैं जो दिन में काम करता हूं. तस्वीर जो लेता है उससे पैसे लेता हूं. खाली समय में पानी भी बेचता हूं. यही मेरा काम है.

मोनू को नई जिंदगी देने वाली लिपि उनके बारे में कहती हैं, ‘मेरी एक बेटी की अभी शादी हुई है. उसको भी इन्होंने मदद किया है पैसों से, ऐसी बात नहीं है. और अब मेरे बच्चों की पढ़ाई लिखाई सब यही करते हैं.’

जिसने नई जिंदगी दी और जीने का मकसद दिया, वह परिवार अब मोनू का अपना परिवार है. लोगों को गुदगुदाकर, उनके चेहरे पर मुस्कान लाकर वे काफी खुश हैं. मोनू जीवन भर चार्ली के रोल में ही रहना चाहते हैं.

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