हार्ट अटैक आया तो हजारों लोग ईश्वर से प्रार्थना करने लगे … इमोशनल कर देगी ‘5 रुपये वाले डॉक्टर’ की कहानी

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नंगे पैर, सस्ती कमीज और साधारण सा पैंट पहने पर्चा लिखता यह शख्स और उसके सामने लाइन में खड़े 100-200 लोगों की भीड़. इस शख्स को लोग पांच रूपए वाला डॉक्टर भी कहते हैं. आज के दौर में यह ‘5 रुपया’ सुनने में बेहद सस्ता जरूर मालूम पड़ता है, लेकिन असल जिंदगी में इसका काफी मोल है. क्लिनिक खोलने के लिए पैसे नहीं हैं और न ही चाहत है कोई भव्य और चमचमाती बिल्डिंग की. बस मिठाई की दुकान के पास बैठकर यह डॉक्टर साहब मात्र पांच रुपये की फीस लेकर सालों से लोगों का इलाज कर रहे हैं.

5 रुपये फीस.. इसलिए 5 रुपये वाला डॉक्टर

नाम डॉ. शंकर गौड़ा. कर्नाटक के मांड्या जिले के एक छोटे से गांव में इनकी क्लिनिक चलती है. क्लिनिक क्या.. जहां मरीजों की लाइन शुरू हो जाए.. वही अस्पताल. डॉ. गौड़ा एक त्वचा रोग विशेषज्ञ हैं, जो अपने मरीजों से फीस के तौर पर सिर्फ 5 रुपये लेते हैं. वह अपने मरीजों को सस्ती दवाएं लिखने के लिए जाने जाते हैं और उनकी सफलता दर लगभग सौ प्रतिशत है. वर्षों से उनकी निस्वार्थ सेवा ने कर्नाटक के दूर-दराज के इलाकों से बड़ी संख्या में मरीजों को आकर्षित किया है.

पिछले 40 सालों से कर रहे प्रैक्टिस

डॉक्टर साहब कहते हैं,

“मैं 1982 से प्रैक्टिस कर रहा हूं. जब से मैंने अपना प्रैक्टिस शुरू किया है तब से 5 रुपये शुल्क ले रहा हूं. हमारे पास जो भी ज्ञान है, वह सबको समान रूप से देना चाहिए. जो मेरी शिक्षा के लिए जिम्मेदार (गांव के लोग) थे, उनके लिए मेरे ज्ञान का उपयोग होना चाहिए था.”

डॉक्टर साहब बताते हैं कि आज भी ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की कमी है. आज भी वहां स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर नहीं है. ऐसे में डॉक्टर के लिए कम से कम एक साल तक ग्रामीण इलाकों में प्रैक्टिस अनिवार्य करना चाहिए.

 केंद्रीय मंत्री ने की सराहना

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी डॉ गौड़ा के इस नेकी भरे कार्य की सराहना की है. उन्होंने कहा, ‘डॉ. गौड़ा गरीब लोगों के लिए जो कर रहे हैं, वह बहुत अच्छा है. सभी डॉक्टरों को इसी लाइन पर काम करना चाहिए.  ऐसी सोच समाज और खासकर गरीबों के लिए बहुत अच्छी बात साबित हो सकती है.

आज के दौर में जब मेडिकल की पढ़ाई व्यवसाय का विषय बन गया है, ऐसे में डॉ गौड़ा माइलस्टोन हैं निस्वार्थ सेवा के लिए. चाहते तो डॉक्टर साहब भी करोड़ों कमा सकते थे, लेकिन उन्होंने इसके बदले लोगों से खूब प्यार कमाया है.

पैसा नहीं.. प्यार खूब कमाया

इसलिए तो जब साल 2020 में डॉ गौड़ा को हार्ट अटैक आया और वो अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे थे, तब अस्पताल के बाहर हजारों लोगों की भीड़ जमा हो गई थी. यह भीड़ उनके मरीज, उनके परिजन और शुभचिंतकों की थी. सभी प्रार्थना कर रहे थे कि डॉक्टर साहब जल्द से जल्द ठीक हो जाएं. आखिरकार उनकी पुकार सुनी गई. डॉक्टर साहब ठीक हुए और फिर से निःस्वार्थ सेवा में जुट गए.

‘डॉक्टर धरती के भगवान होते हैं’ इसे चरितार्थ कर रहे हैं डॉक्टर शंकरे गौड़ा.

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