कोलकाता की सड़कों पर फर्राटे भरती हुई पीली टैक्सी तो बहुत देखी होगी आपने. लेकिन ये टैक्सी कुछ अलग है. कार की छत पर धातु के कंटेनर हैं. जिनके नीचे मिट्टी, सफेद रेत और पत्थर के टुकड़े रखे गए हैं. मशीनों की मदद से असली हरी घास उगाई गई है, जिसका वजन लगभग 65 किलोग्राम हो जाता है. इसे बनाने में अलग से करीब 22 हजार रूपए खर्च हुए. और इस तरह से यह पीली कार ग्रीन टैक्सी बन गई. माने चलता फिरता बगीचा.
ऐसे मिली प्रेरणा
इस ग्रीन टैक्सी को चलाते हैं धनंजय चक्रवर्ती. उम्र 40 साल. वे कोलकाता के टॉलीगंज करुणामयी स्थित टैक्सी स्टैंड से ऑटो चलाने का काम करते हैं. उनका यह प्रोजेक्ट कई स्टेज में पूरा हो सका. इसकी शुरुआत तीन साल पहले हुई थी जब उन्होंने एक खूबसूरत कांच की बोतल में मनी प्लांट लगाया था जिसे एक यात्री ने पीछे की सीट पर छोड़ दिया था. इसके बाद से चक्रवर्ती ने इसकी देखभाल की और टैक्सी में ही इसका पालन-पोषण किया.
शुरू में लोगों ने कहा.. पागल है
चक्रवर्ती के लिए यह सफर आसान नहीं था. जब उन्होंने अपनी कार को मोडिफाई करना शुरू किया तो साथी ड्राइवरों ने उनका मजाक उड़ाया. ज़्यादातर लोगों ने इसे गहराई से देखने से पहले ही सोचा कि वह इस तरह की बात सोचने के लिए पागल है. लेकिन उन्होंने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया और पूरी लगन से अपने कार्य के प्रति लगे रहे.
धनंजय कहते हैं, “इसको लेकर बहुत लोगों ने बहुत कुछ बोला. कुछ लोगों ने कहा कि मैं पागल हो गया हूं. तो किसी ने कहा कि कीड़ा मकोड़ा होगा. तो हमने कहा कि अब लगा दिया तो ठीक है. मर जाएगा तो फेंक देंगे.”
‘सुबुज रथ’ या हरा रथ
अब उनकी कार के छत पर चलता फिरता बगीचा है. जिसमें रंग-बिरंगे फूल खिले हैं. कार की डिक्की में गमलों में लगे पौधों के साथ एक छोटी सी हरी गुफा है. यह वाकई एक अद्भुत और विस्मयकारी नजारा होता है. धनंजय इसे ‘सुबुज रथ’ या हरा रथ कहते हैं. आज उनकी इस ग्रीन कार का खूब क्रेज है. हर कोई इस मूविंग पार्क के जरिए सफर जरूर करना चाहता है.
चक्रवर्ती का खास संदेश
इतना ही नहीं, चक्रवर्ती एक और संदेश देते हैं. वे कहते हैं कि पेड़ लगाना ही काफी नहीं है. उनकी देखभाल करना और पालन-पोषण करना भी महत्वपूर्ण है. क्योंकि पेड़ लगाने की पहल तो हर समारोह में हो जाती है लेकिन वही लोग बाद में पेड़ की देखभाल ठीक तरीके से नहीं कर पाते हैं.