कैसी सरहदें.. कैसी दूरियां, भारत-पाकिस्तान की ‘सरहद’ कम करती दो मांओं की कहानी

0
136

यह कहानी भारत के नीरज चोपड़ा और पाकिस्तान के अरशद नदीम के सिल्वर और गोल्ड जीतने से आगे की है. यह कहानी है दो सरहदों की कम करती दूरियों की. वे सरहदें जो आजाद होने के बाद कभी अमन नहीं देखीं. ऐसे हालात में अरशद नदीम की मां रजिया परवीन और नीरज चोपड़ा की मां सरोज देवी ने जो कहा, उससे दुनिया में प्यार, खूबसूरती और सुकून का पैगाम गया है. इन बयानों को सुनने के बाद आप कह सकते हैं, कैसी सरहदें.. कैसी दूरिया..

सहरदों से दिल अलग नहीं होते..

दो अलग-अलग देश. भारत और पाकिस्तान. दो अलग-अलग मजहब. हिंदू और मुसलमान. ये दूरियां तो हैं दुनिया-समाज में, लेकिन कुछ दूरियां ऐसी हैं जो कभी कम नहीं होती. कभी कम नहीं होने वाली दूरियों की यह कहानी ऐसी है कि रजिया परवीन के बेटे नीरज चोपड़ा और सरोज देवी के बेटे अरशद नदीम कह दिया जाए तो इससे रिश्तों की खूबसूरती बढ़ती ही है.

भारत बनाम पाकिस्तान नहीं.. भारत संग पाकिस्तान

पेरिस ओलंपिक के जैवलिन थ्रो में पाकिस्तान के अरशद नदीम ने गोल्ड मेडल जीता. न सिर्फ उन्होंने गोल्ड मेडल जीता बल्कि ओलंपिक के रिकॉर्ड को भी तहस नहस कर दिया. वहीं भारत के नीरज चोपड़ा को सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा. नीरज ने पिछले ओलंपिक में गोल्ड अपने नाम किया था. आम तौर पर जिस भारत बनाम पाकिस्तान मैच को रोमांच का नाम दिया जाता है. इस प्रतियोगिता में भारत संग पाकिस्तान देखने को मिला. जब तिरंगा लपेटे नीरज के संग पाकिस्तान के झंडे से लिपटे अरशद चांदी-और सोना दिखा रहे थे. इस वैश्विक प्रतियोगिता में यह दो एशियाई देशों का दबदबा था.

‘जिसका गोल्ड है.. वह हमारा ही लड़का’

अब सोना-चांदी से आगे की कहानी. चांदी जीतने के बाद नीरज चोपड़ा की मां सरोज देवी ने जो कहा वो दिलों को ठंडक देती है. उन्होंने कहा, “हम बहुत खुश हैं. हमारा तो सिल्वर ही गोल्ड के जैसा है. जिसका गोल्ड (अरशद नदीम) आया है, वो भी हमारा ही लड़का है. मेहनत करता है.”

मुहब्बत ने सरहद के उस पार अंदरूने मुल्क में जाकर घुसपैठ की तो उधर से भी इधर घुसपैठ हो गई.  अरशद की मां रजिया परवीन भी नीरज पर बयान दिया.

नीरज मेरा भी बेटा है- रजिया

रज़िया कहती हैं,

”वो मेरे बेटे जैसा है. वो नदीम का दोस्त भी है और भाई भी है. हार और जीत तो किस्मत की होती है. वो भी मेरा बेटा है और अल्लाह उसे भी कामयाब करे. उसे भी मेडल जीतने की तौफ़ीक अता करें.”

अब जिनकी मांएं इतना प्यारा बोलेंगी, उनके बेटे जब बोलेंगे या जब उन पर बात होगी तो वो कितनी मीठी होगी… ये समझिए.

अरशद नदीम ने गोल्ड जीतकर कहा, ”मैंने अपना पहला कॉम्पिटीशन 2016 में गुवाहाटी में नीरज भाई के साथ खेला. तब से पता चला कि नीरज चोपड़ा भाई जीतते आ रहे हैं. वहां मैंने पहली बार पाकिस्तान का रिकॉर्ड ब्रेक किया. वहां से मुझे शौक़ हुआ कि मेहनत करूं तो आगे जा सकता हूं.”

एक तरफ़ अरशद नीरज की तारीफ़ कर रहे थे. दूसरी तरफ़ नीरज अरशद की मेहनत का सम्मान कर रहे थे. नीरज चोपड़ा ने कहा, ”किसी खिलाड़ी का दिन होता है. आज अरशद का दिन था. खिलाड़ी का शरीर उस दिन अलग ही होता है. हर चीज़ परफेक्ट होती है जैसे आज अरशद की थी. टोक्यो, बुडापेस्ट और एशियन गेम्स में अपना दिन था.”

जो सुलगाते थे.. उन्होंने भी सराहा

शोएब अख़्तर अक्सर भारत में तब याद किए जाते हैं, जब किसी आक्रामकता की नुमाइश से जुड़ा मसला हो. ख़ासकर क्रिकेट से जुड़ी. मगर इस बार इस नुकीले भाले ने ऐसा खेल किया कि शोएब भी बोले- ये बात सिर्फ़ एक मां ही बोल सकती है.

इन बयानों से यह समझा जा सकता है, दोनों देशों के बीच प्यार का पैगाम फैलाना इतना भी मुश्किल नहीं है, जितना कि सरहदों पर फैले तनाव की खबरें टीवी स्क्रीनों पर दहकते रहती हैं.

Share Article: