ठेले पर समोसा बेचने वाले ने क्रैक की NEET यूजी परीक्षा, अच्छा डॉक्टर बनकर सेवा करना चाहता है सन्नी

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कहते हैं कि जहां चाह वहां राह. वो समोसे का ठेला लगाता था. वो स्कूल भी जाता था. रेहड़ी पर घंटों तक काम करता. कुछ कमाई हो जाती तो घर लौटता. तब तक रात के 10-11 बज चुके होते थे. पर उसे कुछ बड़ा करने की चाहत थी. वो रात-रात भर पढ़ाई करता. और फिर वो हुआ, जिसका सबको उम्मीद थी. शानदार सफलता.

720 में से हासिल किए 664 अंक

यह कहानी है उत्तर प्रदेश के नोएडा में समोसे की रेहड़ी चलाने वाले सन्नी कुमार की. 18 साल के सन्नी ने नीट यूजी परीक्षा दी थी जिसमें उसने 720 में से 664 अंक प्राप्त किए हैं. अब सन्नी की कहानी तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. वह उन तमाम छात्रों के लिए प्रेरणा बन गए हैं, जिन्हें सुविधाओं के अभाव में प्रतिभा का दम घोंटना पड़ता है.

“पापा हैं लेकिन उनका सपोर्ट नहीं है. लेकिन घर में मम्मी हैं, उनका पूरा सपोर्ट है. मैं मम्मी से कहता था, कि मम्मी मुझे कैसे भी करके पढ़ा दो. कंधे पर हाथ रख दो. मुझे पढ़ना है. मुझे कुछ बनना है.”- सन्नी कुमार, नीट क्वालिफाईड

कोर्स खरीदने तक के पैसे न थे

सन्नी की आर्थिक हालत ऐसी थी कि उसके पास न तो कोचिंग पढ़ने के पैसे थे और न ही ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन खरीदने के. वह कहता है कि उसके एक दोस्त ने लैपटॉप और मोबाइल दोनों में लेक्चर चलने वाला सब्सक्रिप्शन खरीदा था. लैपटॉप से वह खुद पढ़ता था और मोबाइल से सन्नी. ऑनलाइन टीचिंग एप फिजिक्स वाल्लाह के लेक्चर और यूट्यूब पर उपलब्ध चंद वीडियो के दम पर सन्नी ने यह सफलता हासिल की.

जो मिला वो किस्मत नहीं, मेहनत है

सन्नी को जो मिला है वो किस्मत नहीं है. वो सन्नी की अथक मेहनत है. रातों को रात न समझने का परिणाम है. दीवारों पर चिपके नोट्स मेहनत का स्तर परिभाषित कर रहे हैं. ये महज नोट्स नहीं हैं, कह लीजिए सफलता का वो सूत्र है जिसे बड़े-बड़े कोचिंग संस्थान मोटी-मोटी तनख्वाह वसूलकर भी नहीं दे पाते हैं.

फिजिक्स वाल्लाह ने की मदद

सन्नी कहते हैं कि जब वो रात-रात भर जगकर पढ़ाई करते थे, तो आंखों में दर्द हो जाता है. दवाई लेने के बाद दर्द जब ठीक हो जाता था, तो फिर से पढ़ाई शुरू हो जाती. सन्नी की इस सफलता के बाद फिजिक्स वाल्लाह के अलख पांडे ने भी सन्नी से बात की. साथ ही उनकी तरफ से सन्नी को 6 लाख रुपए देने की बात कही गई है.

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