बाढ़ जैसी विभीषिका से समय कितना काम आ सकता है यह ‘फ्लोटिंग हाउस’?

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बाढ़, एक ऐसी विभीषिका जो लीलने लगती हैं जिंदगियां. जिंदगी के साधन. घर-आंगन. खेत-खलिहान. मकान-दुकान. और न जाने कितनी मुसीबतें जन्म लेती हैं इस एक मुसीबत के साथ. घरों में रहने वाले लोग सड़क पर होते हैं. अन्न-धन से भरपूर परिवार, दाने-दाने को मोहताज हो जाता है. ऐसी विभीषिका का निजात क्या है?

‘फ्लोटिंग हाउस’ ने खींचा देश का ध्यान

बिहार जैसे राज्य के लिए बाढ़ नियति है. हर साल आती है. चंद दिनों में सब कुछ उजाड़कर चली जाती है. ऐसे में हर साल यहां के लोग शुरू करते हैं जिंदगी का ‘स्टार्टअप’. बिहार अभी भी बाढ़ के कहर से जूझ रहा है. आनन-फानन के इस दौर में एक तस्वीर ने पूरे देश की नजर अपनी ओर खींचा. तस्वीर ‘फ्लोटिंग हाउस’ की.

बाढ़ के दौरान नाव से आवागमन करते लोग

बक्सर के प्रशांत ने तैयार किया घर

दरअसल, बिहार के बक्सर जिले के प्रशांत कुमार ने एक अनोखा घर तैयार किया है, जो हर साल आने वाली बाढ़ से प्रभावित नहीं होगा. बाढ़ आने पर यह घर डूबने के बजाय तैरने लगेगा. इस घर को गंगा नदी के रास्ते बक्सर से पटना तक ले जाया जा रहा है और उम्मीद है कि यह 15 अक्टूबर तक पटना पहुंच जाएगा. फिलहाल यह आरा में है.

घर अपनी सारी जरूरतें खुद पूरी कर सकता है

पूरी तरह आत्मनिर्भर है यह हाउस

प्रशांत कुमार और उनकी टीम ने इस घर को बनाने के लिए मिट्टी, घास-फूस, सुरकी-चूना, बांस और कचरे से बनी चीजों का इस्तेमाल किया है. यह घर सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडा रहता है और खुद के लिए सौर ऊर्जा, भोजन और स्वच्छ पानी की व्यवस्था कर सकता है.

घर को नाव से खींचकर एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाया जा सकता है

कम लागत वाली देशी तकनीक से निर्माण

यह ‘लो टेक’ यानी कम लागत वाली देशी तकनीक से बनाया गया है, ताकि लोग आसानी से अपने लिए ऐसे घर बना सकें. इसमें मानव मल को पानी और गैस में बदलने की भी व्यवस्था की गई है, जिससे इसे और अधिक पर्यावरण-अनुकूल बनाया गया है.

सौर ऊर्जा से पूरी होती हैं बिजली की जरूरतें

पानी में लंबे समय तक सुरक्षित

प्रशांत बताते हैं कि इस घर को बनाने में पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया है. इसके निर्माण में सस्ते और टिकाऊ ईंटों का उपयोग किया गया है, जिन्हें खुद ही बनाया गया है. साथ ही इंजीनियरों ने मिट्टी का एक ऐसा प्लास्टर भी तैयार किया है, जो पानी से प्रभावित नहीं होता. इस तकनीक के कारण यह घर न सिर्फ बाढ़ में सुरक्षित है, बल्कि लंबे समय तक टिकाऊ भी है.

ये हैं प्रशांत कुमार. फ्लोटिंग हाउस के शिल्पकार

पानी के रास्ते बक्सर से आरा पहुंचा घर

इंजीनियर प्रशांत कुमार मूलरूप से भोजपुर जिले के बभनगावां गांव के रहने वाले हैं. वे इसे भोजपुर जिले में ही बनाना चाहते थे, लेकिन फिर इस प्रोजेक्ट को बक्सर में पूरा किया गया और पानी के रास्ते ही आरा लाया गया.

भविष्य में हो सकता है खूब इस्तेमाल

इस घर की खासियत यह है कि इसे पानी के ऊपर नाव से खींचकर किसी भी स्थान पर ले जाया जा सकता है. इसकी टेस्टिंग पहले ही सफलतापूर्वक की जा चुकी है. यह घर चलंत हाउसबोट के रूप में कार्य कर सकता है, जो बाढ़ जैसी आपातकालीन स्थिति में चलते-फिरते हॉस्पिटल या स्टोरेज हाउस के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके साथ ही, इसे इको टूरिज्म का उदाहरण भी माना जा सकता है, जो पर्यावरण संरक्षण और नवाचार का अनूठा मिश्रण है.

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