बिना दोनों हाथ हवाओं से बात करते हैं जगविंदर… आर्थिक तंगी से निकलकर ऐसे बने ‘फ्लाइंग सिंह’

“मैं 8वीं कक्षा में था जब मेरे माता पिता मेरी बहन के लिए साइकिल लाए थे. बहन को साइकिल चलाने में काफी डर लगता था. लेकिन मुझे साइकिल से गिरने का कोई भय नहीं था. मेरे पेरेंट्स बोलते थे कि तू साइकिल नहीं चला पाएगा. लेकिन फिर भी मैं हाफ पैंडल मारकर साइकिल चलाने की कोशिश की. जब लगा कि मैं साइकिल चला सकता हूं, तो उसी हाफ पैंडल ने मेरी लाइफ बदल दी.”

यह कहानी है पंजाब के पटियाला जिले में पड़ने वाले पताड़ां निवासी साइकिलिस्ट जगविंदर सिंह की. जगविंदर सिंह से याद आया. मिल्खा सिंह. हां-हां, वही फ्लाइंग सिख. दोनों हाथों से दिव्यांग ये वाला जगविंदर फ्लाइंग सिख ही बन जाता है, जब साइकिल पर सवार होकर निकलता है. जिंदगी जिंदाबाद में आप जानेंगे कैसे शारीरिक और आर्थिक चुनौतियों से होते हुए जगविंदर ने नेशनल और स्टेट लेवल पर अब तक 15 मेडल जीत चुके हैं.

पैरा ओलंपिक खेलने का सपना
बचपन से ही दोनों हाथों से दिव्यांग होने की वजह से जगविंदर सिंह का जीवन चुनौतियों से भरा रहा. हालांकि, अपनी दिव्यांगता को उन्होंने कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया. जगविंदर सिंह हर रोज सुबह अपने कमरे में लगे 15 मेडल वाले पोस्टर को देखकर उठते हैं और रोजाना घंटों साइकिलिंग करते हैं. उनका सपना एक दिन पैरा ओलंपिक में हिस्सा लेकर देश के लिए मेडल जीतना है.

साइकिलिस्ट ही नहीं… बेहतर आर्टिस्ट भी हैं

स्कूल में बच्चों को आर्ट सिखाते जगविंदर

ये तो बात हुई जगविंदर की साइकिलिंग की. लेकिन उनकी कहानी का एक और चैप्टर भी है, जिसे जानकर आप दांतों तले ऊंगलियां दबाएंगे. जगविंदर एक बेहतरीन साइकिलिस्ट के अलावा बेहतर पेंटिंग आर्टिस्ट भी हैं. हाथ नहीं हैं तो मलाल नहीं. पैरों से ही चित्रों को जीवंत कर देते हैं. कहते हैं कि जब उनकी उम्र महज 6 साल की ही थी तब उन्होंने पिता को देखकर ड्राइंग सीखी थी. आज पेंटिंग में भी उन्हें नेशनल अवार्ड मिल चुका है.

नॉर्मल साइकिलिस्ट भी ऐसा नहीं कर पाते

साइकिलिंग उन्होंने हमेशा से एक इंटरनेशनल खिलाड़ी बनने के लिए की. 212 किलोमीटर की रेस उन्होंने मात्र 9 घंटे में पूरी की थी जबकि 48 सामान्य साइकिलिस्ट ने इसे 20 घंटे में पूरा किया था. इसके अलावा वे 300 किलोमीटर, 212 किलोमीटर और 208 किलोमीटर रेस में भी हिस्सा ले चुके हैं.

इतने अवार्ड… जगविंदर के नाम
स्टेट पैरा साइकिल चैंपियनशिप, पंजाब में गोल्ड मेडल, उड़ीसा में इंटरनेशनल साइक्लोथॉन प्रतियोगिता में 35 किलोमीटर की रेस में दूसरा स्थान, पंजाब की ब्रेवेट राइट 212 किलोमीटर रेस के विजेता, 305 किलोमीटर ब्रेवेट राइट टूर्नामेंट विजेता, उड़ीसा से दिल्ली तक 1800 किलोमीटर दूरी तय करने पर साइक्लोथॉन अवार्ड 2017, आल इंडिया टॉप 30 अवार्ड, अचीवर शान-ए-सिख विरासत अवार्ड, आल इंडिया टॉप 10 अवार्ड, 100 मीटर रेस में गोल्ड मेडल, पटियाला जिले में पेंटिंग कंपीटीशन में तीन बार गोल्ड मेडल प्राप्त, 2017 में स्टेट एथलीट अवार्ड, ये सारे अवार्ड और पुरस्कार जगविंदर के नाम है. जगविंदर तुस्सी ग्रेट हो.

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विवेक चंद्र
विवेक चंद्रhttps://thebigpost.com
उम्मीदों के तानों पर जीवन रस के साज बजे आंखों भींगी हो, नम हो पर मन में पूरा आकाश बसे..

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