‘गोली श्यामला गारू’,की यह कहानी आपको पढनी चाहिए

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कई बार हम उम्र को खुद के विकास में अवरोध मानने लगते हैं, पर यह सच नहीं होता। आज हम आपको ऐसी ही एक महिला की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने बढ़ती उम्र  की परवाह छोड़  एक नया  कीर्तिमान रचा।  यह  नाम है गोली श्यामला गारू, जिन्होंने 52 साल की उम्र में समुद्र की कठिन परिस्थितियों को चुनौती देते हुए 150 किलोमीटर की दूरी तैरकर पूरी की। यह असाधारण उपलब्धि उन्होंने विशाखापत्तनम से काकीनाडा तक के सफर में हासिल की, जिसे पूरा करने में उन्हें छह दिन लगे।

ऐसी रही असंभव को संभव बनाने की यात्रा

गोली श्यामला ने 28 दिसंबर 2024 को विशाखापत्तनम से अपनी यात्रा शुरू की और 3 जनवरी 2025 को काकीनाडा के सूर्यरावपेट एनटीआर बीच पर पहुंचकर इसे सफलतापूर्वक पूरा किया। हर दिन औसतन 30 किलोमीटर तैरते हुए, उन्होंने समुद्र की तेज लहरों, मौसम की चुनौतियों और थकान को परास्त किया। यह उपलब्धि न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणादायक है।

पहले भी रचा है इतिहास

यह पहली बार नहीं है जब गोली श्यामला ने अपनी साहसिक तैराकी से लोगों को चौंकाया हो। इससे पहले भी उन्होंने राम सेतु, श्रीलंका और लक्षद्वीप के समुद्र में तैराकी करके अपनी असाधारण क्षमता का परिचय दिया था। उनकी यह उपलब्धि उम्र और शारीरिक सीमाओं को तोड़ते हुए, दृढ़ संकल्प की एक बेहतरीन मिसाल पेश करती है।

समुद्र की लहरों से संघर्ष और जीत

150 किलोमीटर की समुद्री यात्रा केवल शारीरिक शक्ति की परीक्षा नहीं थी, बल्कि यह मानसिक दृढ़ता का भी प्रमाण थी। खुले समुद्र में, जहां तेज लहरें, जलचक्र, और समुद्री जीवों का खतरा बना रहता है, वहां तैराकी करना किसी साधारण व्यक्ति के लिए नामुमकिन सा लगता है। लेकिन गोली श्यामला ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया, बल्कि उसे जीतकर दिखाया।

मुख्यमंत्री और देशवासियों की सराहना

गोली श्यामला की इस उपलब्धि पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने इसे “असाधारण साहस की कहानी” बताया और कहा कि “गोली श्यामला की यह उपलब्धि महिलाओं और युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो यह सिद्ध करती है कि सच्चे संकल्प के आगे कुछ भी असंभव नहीं है।”

इच्छाशक्ति से मिलती है सबलता 

गोली श्यामला की कहानी हमें यह सिखाती है कि  उम्र मुकाम गढ़ने में मायने नहीं रखती । अगर हमारे भीतर कुछ कर गुजरने की चाहत हो, तो कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं होता। उन्होंने यह साबित कर दिया कि सच्ची इच्छाशक्ति और समर्पण से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।

उनकी यह अद्भुत उपलब्धि हमें यह प्रेरणा देती है कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी भी देर नहीं होती। यदि हमारे पास धैर्य, मेहनत और आत्मविश्वास है, तो हम किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं।

सलाम इस साहसी महिला को!

गोली श्यामला की यह सफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल तो है ही यह बताती है  कि किसी  भी उम्र में मेहनत, साहस और समर्पण से लक्ष्य पर विजय पाया  जा सकता है। यह कहानी यह भी बताती है कि

 जीत उन्हीं की होती है जो अपने डर से आगे बढ़ने का हौसला रखते हैं।”

फोटो: साभार सोशल मीडिया

 

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