कहानी भारत के पहले ‘बांस गांव’ की… जो सीखाती है प्रकृति का संरक्षण

 

जिंदगी के फ्लैशबैक में 20 साल पीछे चलते हैं. आपके घर में बांस से बने कई वस्तुओं की खूब उपयोगिता थी. सूप, दौरा, खांची, चटाई, पर्दा, रस्सी, थैला, आदि-आदि. संभव है आपके क्षेत्र में इन्हें दूसरे नामों से पुकारा जाता होगा. आज ये लगभग समाप्त हो चुके हैं. कुछ पारंपरिक रिवाजों और चमचमाते दफ्तरों में पेन-स्टैंड जैसे शो पीस को छोड़ दें तो बांस के सामान लगभग गायब ही हो चुके हैं. उनकी जगह जो दिखता है वो है प्लास्टिक और फाइबर. ऐसे दौर में किसी गांव को बांस गांव के रूप में विकसित किया जाना आश्चर्यजनक और वाकई शानदार है.

त्रिपुरा में बसा है बांसग्राम

त्रिपुरा के कतलामरा में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास भारत का पहला बांस ग्राम की स्थापना की गई है. राज्य में पर्यावरण-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अपनी तरह का यह पहला मल्टीपर्पज बाशग्राम (बांस गांव) है.  उम्मीद की जा रही है कि यह पहल योग प्रेमियों, पर्यटकों और प्रकृति-प्रेमियों को आकर्षित करेगी.

9 एकड़ की भूमि में फैला है यह गांव

इसके लिए बांस आर्किटेक्ट कम एक्सपर्ट, मन्ना रॉय के नेतृत्व में युवाओं ने लगभग 9 एकड़ भूमि विकसित की है. बताया जा रहा है कि यह जगह पहले से ही देश भर से पर्यावरणविदों और विदेशियों सहित बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने में कामयाब रही है.

गांव में बांस से बना सबकुछ है

बांस गांव में एक योग केंद्र, खेल का मैदान, वनस्पतियों और जीवों के साथ कई तालाब, बांस के पुल और रास्ते, बांस के कॉटेज, विभिन्न पर्यावरण-अनुकूल सुविधाएं भी उपलब्ध हैं. बांस की 14 से अधिक प्रजातियों के साथ-साथ कई अन्य प्राकृतिक पौधे, जड़ी-बूटियां, वनस्पति, झाड़ियां और फूल बशग्राम को वास्तव में रहने के लिए एक प्राकृतिक जगह बनाते हैं.

प्रकृति संरक्षण का संदेश

बांस गांव में एक संग्रहालय भी होगा, जहां बांस से बनी सभी प्रकार की अप्रचलित, लुप्तप्राय, पुरानी और नई सामग्री प्रदर्शित की जाएगी. बांस गांव को विकसित करने के पीछे मुख्य विचार प्रकृति से छेड़छाड़ किए बिना स्थानीय और ग्रामीण संसाधनों का उचित और प्रभावी ढंग से उपयोग करना है.

गांव के विकास में 60 लाख का निवेश

गांव को विकसित करने के लिए 60 लाख रुपये से ज्यादा का निवेश किया है, और सरकार या किसी बैंक से कोई पैसा नहीं लिया गया है. स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके बाशग्राम को विश्व स्तरीय चिकित्सा-सह-इको पर्यटन केंद्र में बदलने का लक्ष्य है.

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विवेक चंद्र
विवेक चंद्रhttps://thebigpost.com
उम्मीदों के तानों पर जीवन रस के साज बजे आंखों भींगी हो, नम हो पर मन में पूरा आकाश बसे..

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