एक शहर जो विश्वास की बदौलत चलता है.. पढ़िए आपसी भरोसे की मिसाल कायम करने वाली कहानी

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बिना कैश काउंटर के बेकरी, जहां आप अपनी मर्जी से चीजें खरीद सकते हैं और उचित मूल्य लगाकर भुगतान भी. बिना किसी शुल्क के घंटों तक कायकिंग, अजनबी से मुलाकात और घंटों तक बातचीत. जरा कल्पना कीजिए कि ऐसी जगह कौन सी हो सकती है?

मुफ्त में एडवंचर कहां मिलता है?

देशप्रेम के नाते संभव है आप अपने देश या अपने शहर का नाम बोल सकते हैं. इसे हम कुछ हद तक सही भी मान सकते हैं कि लेकिन तब जब आप खुद से खरीदारी करके खुद उचित दाम लगाकर भुगतान करें. या कोई मुफ्त में आपका मनोरंजन करे. या फिर ट्रेन या बस में सफर करते वक्त आप बेफिक्र होकर अपने सामान या बच्चों को दूसरों के भरोसे छोड़ सकें. संभव है कुछ हद तक आपका जवाब इत्तेफाक से डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन से मिल जाएं.

सिस्टम जो विश्वास के दम पर चलता है

माइलस्टोन में आज कहानी उस शहर की जो विश्वास के दम पर चलता है. जिसका सिस्टम आपसी भरोसे की मिसाल कायम करता है. वो शहर है डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन. बिना किराए की कायकिंग, अजनबी से बढ़िया बातचीत और बिना निर्धारित मूल्य के ब्रेड आपको कोपेनहेगन में मिल सकेगा.

डेढ़ घंटे तक कायकिंग मुफ्त

दो लोगों के लिए 90 मिनट तक कायकिंग मुफ्त है. लेकिन इसके लिए एक शर्त होती है. वह शर्त है नदियों या तालाबों से ज्यादा से ज्यादा कचरा इकट्ठा करना. लोगों को मुफ्त में मनोरंजन चाहिए, इसके लिए वे नीक नीयत के खातिर कचरा बीन लेते हैं. इस दौरान उन्हें प्लास्टिक मिलता है. कभी कभी तो उन्हें मल-मूत्र से भरा थैली भी. लेकिन बावजूद वे इसे करते हैं. मकसद मनोरंजन से ज्यादा स्वच्छता का होता है.

टोबियास वेबर एंडरसन जिन्होंने मुफ्त कायकिंग का आइडिया लाया

पूरी तरह से भरोसे पर आधारित कॉन्सेप्ट

कचरे बीनने की शर्त पर मुफ्त कायकिंग का आइडिया टोबियास वेबर एंडरसन का है. वह कहते हैं, मैं नदियों में इतना ज्यादा कचरा देखकर दंग रह जाता था. मैं इस दिशा में कुछ करना चाहता था. मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसमें सक्रिय बनाना चाहता था. यह कॉन्सेप्ट पूरी तरह से भरोसे पर आधारित है. जो काफी सफल है.

शहर में यूनिक ह्मयूमन लाइब्रेरी

ड्रीम कायकिंग के जरिए उन्होंने खेल और एडवंचर को पर्यावरण के संरक्षण से जोड़ दिया है. यहां एक दूसरे जिले में एक अनोखी लाइब्रेरी है, जिसे ह्यूमन लाइब्रेरी कहते हैं. जहां आप किताबें तो पढ़ ही सकते हैं, अपने दिल का हाल भी बता सकते हैं.

रोनी आबेरगल, ह्मयूमन लाइब्रेकी के फाउंडर

इस लाइब्रेरी को स्थापित करने वाले रोनी आबेरगल कहते हैं कि उनकी लाइब्रेरी सबके लिए है. यहां आकर आप इंसानियत को खंगाल सकते हैं. उम्मीद है कि आपसी बातचीत से लोग समझेंगे. स्वीकार करेंगे. हम सबको इसकी जरूरत भी है. हम अकेले रहकर ये नहीं कर सकते, इसलिए हमें कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा.

समानता का अधिकार जीवन का सिद्धांत

जिन्होंने डेनमार्क को जीया है, वे कहते हैं कि यहां समानता का अधिकार ही जीवन का सिद्धांत है. यहां विश्वास की नींव पर सबकुछ टिका है. बेकरी जहां कोई कैशियर नहीं होता. यहां ग्राहक आते हैं. अपने जरूरत के फूट आइटम पैक करते हैं और फिर खुद से भुगतान करके चले जाते हैं. इस बेकरी के मालिक मार्टिन फोगेलियस कहते हैं कि ऐसी जगह में अकेले बेकरी चलाने का एकमात्र यही उपाय है. हमें लोगों पर भरोसा करना होगा.

बेकरी के मालिक मार्टिन फोगेलियस

द बिग पोस्ट आपसे यह सवाल पूछता है कि क्या आपके शहर में ऐसी व्यवस्था सफल हो सकती है, जो आपसी भरोसे पर चल सके?

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