मेघालय के शिलांग से 90 किलोमीटर दूर बांग्लादेश की सरहद की तरफ बढ़ेंगे तो एक गांव मिलेगा ‘मावलिननांग’. हम आपको इस गांव की कहानी इसलिए बता रहे हैं क्योंकि यह गांव बेहद खास है. क्योंकि ये है एशिया का सबसे स्वच्छ गांव. इस गांव की क्या ऐसी खास बातें हैं जो इसे सबसे स्वच्छ बनाती हैं यह जानने के लिए आइये द बिग पोस्ट के साथ ‘मावलिननांग’ की सैर करते हैं.
सबसे स्वच्छ गांव की खास बातें
‘मावलिननांग’ प्रकृति की गोद में बसा एक छोटा सा गांव है. आबादी करीब 90 घरों की. खासी जनजाति के लोग यहां रहते हैं. यहां आने के बाद आपके जेहन में बैठी गांव की तस्वीर धुंधली होने लगेगी. यहां की आबोहवा में आप बहने लगेंगे. चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है. पर्वत-पहाड़, नदी-नाले, झरने आदि-आदि. सड़कें कम चौड़ी जरूर है लेकिन चमचमाती हुई. मजाल है जो आप गंदगी कहीं ढूंढ कर दिखा दें. नदी और झरने का पानी ऐसा मालूम पड़ता है जैसे क्रिस्टल हो.
स्वच्छता जैसे डायरी में शामिल हो
घर दूर-दूर पर स्थित हैं. हर घर में बांस से बना एक कूड़ेदान है. घर का कचरा इसी कूड़ेदान में जमा होता है, लेकिन कहीं बाहर नहीं फेंका जाता. बाद में इसकी का खाद के रूप में इस्तेमाल होता है. स्वच्छता जैसे इनकी जिंदगी के चैप्टर में शामिल है.
किसी भी तरह की गंदगी की सफाई के लिए ये किसी की राह नहीं देखते, खुद ही सफाई में लग जाते हैं. न प्लास्टिक का उपयोग और न ही खुले में शौच. मौजूदा दौर में यहां के लोगों के जीवन की शैली ही इस गांव को दुनिया में खास बनाती है. तभी तो यह गांव है एशिया का सबसे साफ सुथरा गांव.
प्रकृति की वादियां बनाती है खास
मावलिननांग गांव को साल 2003 में डिस्कवर इंडिया ने एशिया का सबसे स्वच्छ गांव घोषित किया था. यहां की साक्षरता दर 100 फ़ीसदी है. पहाड़ों की वादियों में बसा यह गांव खूबसूरत प्राकृतिक नजारों से भरा हुआ है. यहां पर झील, झरने, पहाड़ और हरियाली है, जो कि यहां आने वाले लोगों को अपनी ओर खीचती है.