ऐसे खिलखिला उठेगा मन में बसंत

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वसंत ऋतु की  दस्तक हो चुकी है। फिजा में बसंती मिठास तैर  रही है, पेड़-पौधों पर नई कोंपलें खिलखिलाते  रही है। फूलों की भीनी महक वातावरण को सुगंधित कर रही है। पर क्या हमारा मन भी वासंती उत्साह और उमंग से भर गया है? या फिर जीवन की आपाधापी, चिंताओं और उदासियों ने उसे बेरंग, पतझड़ सा बना रखा है?

सच तो यह है कि वसंत केवल बाहर नहीं आता, उसे मन के भीतर भी लाना पड़ता है। अगर दिल भारी हो, आँखों में नमी हो और चेहरे पर मुस्कान न हो, तो बाहर का यह खिलता मौसम भी मन के वीराने को नहीं भर सकता। असली वसंत वह है, जो हमारे भीतर खिलता है, हमारे विचारों में बसता है, और हमारी आत्मा को रंगों से भर देता है।

कैसे लाएं मन में वसंत?

पुराने दुखों की पतझड़ को विदा करें

जैसे पेड़ अपने सूखे पत्तों को गिराकर नए पत्तों के लिए जगह बनाते हैं, वैसे ही हमें भी अपने जीवन से पुराने दुख, गिले-शिकवे और निराशाओं को छोड़ना होगा। बीती बातों को पकड़े रहने से हम भविष्य के वसंत का स्वागत नहीं कर सकते।

छोटी खुशियों के फूल खिलाएं

खुश रहने के लिए किसी बड़े मौके की जरूरत नहीं होती। सूरज की पहली किरण को महसूस करना, बच्चों की हंसी सुनना, किसी जरूरतमंद की मदद करना—इन छोटी-छोटी चीजों में ही असली आनंद छिपा होता है। इन पलों को संजोने से जीवन में वसंत अपने आप उतर आता है।

 संगीत से सजाएं अपनी आत्मा को 

प्रकृति में हर चीज़ की अपनी लय है—पंछियों की चहचहाहट, हवा की सरसराहट, झरने की कलकल। इन ध्वनियों को महसूस करें और अपने मन को भी किसी मधुर गीत की तरह बहने दें। संगीत वह जादू है, जो मन की उदासी को पिघलाकर उसे उमंग से भर देता है।

खुद से करें प्यार 

अक्सर हम दूसरों के लिए जीते हैं, उनकी उम्मीदों को पूरा करने में अपने भीतर की खुशियों को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन खुद से प्यार किए बिना कोई भी सच में खुश नहीं रह सकता। अपने लिए समय निकालें, अपनी रुचियों को दोबारा जिएं, और खुद को भी वही स्नेह दें, जो दूसरों को देते हैं।

वसंत केवल महसूस करने के लिए नहीं, जीने के लिए होता है। घर से बाहर निकलें, हरे-भरे पेड़ों को देखें, फूलों की खुशबू लें, और जीवन की गति को थोड़ा धीमा करें। प्रकृति के पास एक अनकहा जादू है, जो हमारे भीतर के सन्नाटे को मधुर संगीत में बदल सकता है।

असली वसंत भीतर खिलता है

अगर आपका मन प्रसन्न है, तो हर मौसम वसंत जैसा लगेगा। लेकिन अगर भीतर निराशा है, तो बसंत का यह सुहावना मौसम भी फीका लगेगा। इसलिए, इस बार केवल बाहरी वसंत का स्वागत न करें, बल्कि अपने मन में भी खुशियों के फूल खिलाएं।

आइए, इस वसंत ऋतु में हम खुद से यह  वादा करें कि हम जीवन को हल्केपन से जिएंगे, छोटी-छोटी खुशियों को समेटेंगे, और अपने मन के भीतर भी एक सुंदर वसंत बसाएंगे—एक ऐसा वसंत, जो कभी न बीते।

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