भारतीय वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बोस. पेड़ों में जान होती है, यह खोज सर बोस की ही है. साल 1901 में सबसे पहले उन्होंने ही बताया कि पेड़-पौधों में भी जीवन होता है. पेड़ों में जीवन है तो दर्द और दुख भी होता होगा. बिल्कुल! पेड़ों की बीमारी, दुख-दर्द का इलाज करने वाले डॉक्टर्स की कहानी इस रिपोर्ट में आपको बता रहे हैं. जिनकी पहल से शहरों में बढ़ रही है हरियाली.
आर्बरिस्ट, पेड़ों के स्वास्थ्य और उनकी उम्र बढ़ाने के जानकार होते हैं. हम ऐसे ही आर्बरिस्ट से मिले, ईको-विलेज ऑरोविल में. इन्हें बचपन से ही जंगलों से प्यार था और अब इन्होंने उसे ही अपना करियर बना लिया है.
दक्षिण भारत के ऑरवेल शहर में हर पेड़ कीमती है. लिहाजा, जानकारों की एक स्थायी टीम शहर में हरियाली बनाए रखने के लिए काम करती है.
“जब मैं छोटा था तो मेरे पिता एक ट्रीहाउस बना रहे थे. सैंपल के रूप में उन्होंने हमारे घर के पिछवाड़े में पेड़ पर ऐसा एक घर बनाया. वहां जाकर एक अलग ही नजारा देखने को मिला. वो अनुभव ही अलग था. ऐसा लगता था कि तैरती हवा के बीच पेड़ सांस ले रहा है. आज भी मैं वो पल महसूस करता हूं.”– भागीरथ प्रकाश, ट्रीकेयर
पहले प्रकृति से प्रेम हुआ, फिर वही बन गया करियर
भागीरथ प्रकाश, ट्रीकेयर कंपनी के संस्थापक जोनस सुहानेक के साथ मिलकर ऑरोविल के पेड़ों की देखरेख करते हैं. दोनों यहीं पले बढ़े. दोनों ही एक समय बंजर पड़े इस इलाके को हराभरा बनाने की लोकल कम्युनिटी की कोशिशों के गवाह थे. इस बदलाव से उनमें प्रकृति के लिए प्रेम पैदा हुआ और फिर वही उनका करियर बन गया.
क्या है आर्बिकल्चर, समझें
आर्बरिस्ट या आर्बिकल्चर लैटिन शब्द आर्बर से आया है, जिसका मतलब होता है पेड़. दूसरे शब्दों में ट्री प्रोफेशनल. हम लोग ट्री प्रोफेशनल्स हैं. हमलोग प्रकृति और शहरी विकास के बीच संतुलन बनाने वाले लोग हैं.
पिछले साल तमिलनाडु में आए चक्रवात के कारण हजारों की संख्या में पेड़ तहस नहस हो गए. ऑरोविल इसी राज्य में है. जलवायु परिवर्तन की वजह से चक्रवात अब यहां बार बार आने लगे हैं.
ऐसे काम आने लगी तकनीक
ऑरोविल की निवासी अगाथे फॉरक्वेज कहती हैं, चक्रवात के बाद जब मैं अपना पसंदीदा पेड़ को देखने आई तो पाया कि मेरा वह पेड़ दो हिस्सों में बंट गया था. वह बहुत विशाल पेड़ था. लेकिन चक्रवात के बाद मुझे यकीन नहीं हुआ कि मुझे मेरा पसंदीदा पेड़ काटना पड़ेगा. लेकिन किस्मत से ट्रीकेयर के जानकारों के पास इसका एक समाधान था.
हमने अपनी रिसर्च की और पेड़ को हटाने के सबसे सही तरीके के बारे में सोचा. आखिर में हमने ब्रेसिंग तरीका अपनाने के बारे में सोचा. ये तरीका यूरोप में काफी प्रचलित है. हमने एक बहुत लंबे ड्रील की मदद से पूरे पेड़ में ड्रिलिंग की. फिर उसमें थ्रेडेड रॉड घुसा दी. मेटल के कुछ प्लेट लगाए ताकि पेड़ को जोड़ा जा सके.– योनास जुखानेक
कभी-कभी हर पेड़ को बचाया नहीं जा सकता
तमाम कोशिशों के बावजूद हर पेड़ को नहीं बचाया नहीं जा सकता. पेड़ के खराब या बीमार होने के बाद ही उनकी भूमिका आती है. शहरी पर्यावरणों में पेड़ आश्चर्यजनक रूप से बेशक ढल जाएं, लेकिन अक्सर बीमार पड़ जाते हैं या उनकी जड़ें खराब हो जाती हैं.
कंक्रीट की दुुनिया में हरियाली का खास ख्याल
आर्बोरिस्ट आइलैंड लेस्क्योर भी ऑरोविल में ही रहते हैं. वे शहरी पेड़ों के प्रबंधन के विशेषज्ञ हैं. वे नए निर्माण कार्यों में पुराने पेड़ों को संरक्षित करने की वकालत करते हैं. वे कहते हैं, मैं साइट पर जाकर पेड़ों को देखता हूं कि पेड़ कितने समय तक टिका रहेगा. मैं उन्हें लक्ष्य में भी रखता हूं ताकि आर्किटेक्ट की ड्राइंग में उन पेड़ों को जगह मिल सके. हम उनकी सेहत, स्थिति और कितने समय तक टिके रह सकते हैं ये सारी चीजें देखते हैं.
यह तरीका ऐसी हरियाली बढ़ाने में मददगार हैं जो बदलती जलवायु में प्रकृति के संतुलन में काफी हद तक मददगार साबित हो सकता है.