इंसान को जिंदा रहने के लिए जिन बुनियादी चीजों की जरूरत होती है, उनमें रोटी, कपड़ा और मकान तीन हैं. लोगों की इन्हीं जरूरतों को पूरा करने में 65 साल के गगन पेटल लगे हैं. पिछले 38 साल से वे मुहिम चलाकर जरूरतमंदों को चेहरे पर मुस्कान लाने का काम कर रहे हैं.
ओडिशा के भुवनेश्वर के आदिवासी इलाके में रहने वाले गगन पेटल का घर लोगों की पुरानी चीजों का एक बैंक बन चुका है. जहां आपको कपड़े, जूते, कंबल, चादर सहित खिलौने और घर का टूटा-फूटा बहुत सामान मिलेगा. गगन और उनकी पत्नी इन पुराने सामान की सफाई करके इसे बिल्कुल नया बनाकर उन लोगों तक पहुंचा रहे हैं, जिन्हें इनकी बेहद जरूरत है.
जब मांओं ने हाथ जोड़ा तो खुली आंखें
दरअसल, डाक विभाग में काम करने वाले गगन ने साल 1985 में कुछ एक्स्ट्रा आय के लिए बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया था. इस दौरान उन्होंने देखा कि भुवनेश्वर के आसपास रहनेवाले आदिवासी बच्चों के पास पहनने के लिए ढंग के कपड़े तक नहीं हैं. इन बच्चों की मांएं हमेशा गगन से बच्चों को फ्री में पढ़ाने की विनती करतीं.
बेकार के कपड़े दान करने की अपील
अपनी नौकरी के कारण गगन बच्चों को पढ़ाने का काम तो लंबे समय तक नहीं कर पाए. लेकिन इन परिवारों की मदद करने का फैसला उन्होंने तभी कर लिया. इसके बाद गगन ने अपने दोस्तों और जान पहचान वाले लोगों से उन कपड़ों और सामानों को डोनेट करने की अपील की जिसे वे इस्तेमाल नहीं करते. फिर लोगों से मिले कपड़ों को गगन और उनकी पत्नी खुद धोकर सिलाई-बुनाई करके बिल्कुल नया बनाकर जरूरतमंद लोगों को देने में जुट गए.
लोग जुड़ते गए.. कारवां बनता गया
फिर क्या, लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया. लोग फोन करके और गगन के पास जाकर पुराने कपड़ों के साथ-साथ बच्चों के खिलौने, पुराने बर्तन, जूते आदि जमा करने लगे. जब गगन के पास सामान का कलेक्शन बढ़ जाता तो वे खुद गाड़ी में सामान भरकर जरूरतमंदों के बीच बांटने को निकल जाते.
कलेक्शन सेंटर खोलना चाहते हैं गगन
यह काम गगन पिछले कई सालों से कर रहे हैं जिसका फायदा हजारों जरूरतमंदों तक पहुंच रहा है. अब गगन इस काम के लिए एक कलेक्शन सेंटर शुरू करना चाहते हैं ताकि उनका यह काम सालों साल उनके जाने के बाद भी ऐसा ही चलता रहे.
समाज में हर जरूरतमंद को ऐसे किसी गगन की जरूरत हो सकती है. वो आप भी हो सकते हैं. द बिग पोस्ट यह अपील भी करता है कि आप भी किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने की वजह बनें.