आज कहानी ‘यूट्यूबर्स विलेज’ की.. जहां का हर युवा यूट्यूबर, गांव बन गया है ‘फिल्म सिटी’

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यूट्यूब एक ऐसा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जो निश्चित ही समाज में क्रांति बनकर सामने आया. इससे न सिर्फ छोटी-छोटी जानकारियां सामने आने लगी, बल्कि करोड़ों लोग इससे कमाई भी करने लगे. हालांकि, समय के साथ बढ़ते यूट्यूब चैनल और घटते कंटेंट के कारण इन्हें चलाने वालों को निराशा भी हाथ लग रही है. ऐसे दौर में माइलस्टोन में पढ़िए उस सुदूरवर्ती गांव की कहानी.. जहां के दो युवा ने संसाधनों के अभाव में वीडियो बनाना शुरू किया और आज पूरा गांव ‘यूट्यूबर्स विलेज’ बन गया है.

ऐसे रखी गई नींव

छत्तीसगढ़ का तुलसी गांव. यह गांव भी आम गांवों की तरह ही था. सुविधाओं से जूझता. संसाधनों का अभाव. लेकिन यहां जो समृद्धि थी, वो शायद दूसरे में हीं. वो थी विरासत. संस्कृति. और परंपरा. इनसे वाकिब तो हर कोई था लेकिन तकनीक के इस दौर में इन्हें जीवंत रखने और कमाई का जरिया बनाने के लिए पहचाना गांव के दो दोस्त ज्ञानेंद्र और जय वर्मा ने.

साल 2018 में शुरुआत

यह सिलसिला शुरू हुआ साल 2018 में. दोनों दोस्तों ने मिलकर ‘Being Chhattisgarhiya’ नाम से एक यूट्यूब चैनल शुरू किया. जहां वे गांव के छोटे-छोटे किस्से, त्योहारों और घटनाओं के कॉमेडी वीडियो बनाकर अपलोड करने लगे. इन वीडियो को बनाने में वह गांव के स्थानीय लोगों की ही मदद लेते थे.

संसाधनों के अभाव में बंद होने लगे चैनल

धीरे-धीरे इन वीडियोज़ को दुनियाभर के लोग पसंद करने लगे और महज तीन महीने में ही जय और ज्ञानेंद्र को इससे अच्छी कमाई होने लगी. उनकी इस सफलता ने गांव में सबको यूट्यूब के लिए वीडियो बनाने के लिए प्रेरित किया. इस तरह एक के बाद लोगों ने 40 से अधिक यूट्यूब चैनल शुरू कर दिया. लेकिन सफलता की राह इतनी भी आसान नहीं होती है. कई चैनलों को बंद करने की भी नौबत आई. क्योंकि संसाधनों के अभाव में बेहतर वीडियो क्वालिटी दर्शकों को उपलब्ध नहीं हो पा रहे थे.

कलेक्टर की पहल.. गांव बन गया ‘फिल्म सिटी’

जब इस बात का पता जिला कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे को चला तो उन्होंने गांववालों की मदद करने का फैसला किया. इस तरह गांव में प्रसाशन की मदद से ‘हमर फ्लिक्स’ नाम से एक स्टूडियो बन गया है. जहाँ गांववाले लेटेस्ट संसाधनों का उपयोग करके एडिटिंग और रिकॉर्डिंग जैसे काम कर सकते हैं. आज जहां दूसरे गांव के युवा नौकरी की तलाश में शहर आ रहे हैं ऐसे में इस गांव के लोगों ने सोशल मीडिया के दम पर गांव को ही शहर बना लिया है. कहते हैं गांव में अभी लगभग 100 के करीब यूट्यूब चैनल हैं और लगभग हर घर के युवा, जवान या बुजुर्ग इससे जुड़कर कमा रहे हैं. इस तरह से गांव और गांव के आसपास का इलाका कहें तो फिल्म सिटी बन गया है, जहां गांव के लोग ही एक्टिंग भी करते हैं और शूटिंग भी.

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