पावरलूमों से आने वाली कानफाड़ू आवाज. संकरी गलियां जहां से आसानी से गुजरना काफी मुश्किल का काम होता है. यहां कुछ कमरों में तैयार होती है समाज को सशक्त करने वाली पौध. जिसकी पहचान बुनकरों के शहर के रूप में थी वहां आज बोई जाती है उस सफलता की बीज जो बाद में दरखत बनकर देश सहित दुनिया को साया प्रदान करती है. प्रेरणा से ओतप्रोत कर देने वाली यह कहानी है बिहार के आईआईटीयंस के गांव की.
हर साल सफल होते हैं दर्जनों छात्र
बिहार के गया जिले के मानपुर में स्थित है छोटा सा गांव पटवा टोली. अब यह गांव बिहार के आईआईटीयंस का गांव के रूप में प्रख्यात हो चुका है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां हर साल दर्जनभर से अधिक छात्र आईआईटी और जेईई की परीक्षा में सफलता हासिल करते हैं और देश दुनिया तक सेवाएं प्रदान करते हैं. अब इस गांव की पहचान विलेज ऑफ आईआईटीयन के रूप में बन चुकी है.
दिल्ली से चलती है मुफ्त ऑनलाइन क्लास
इस मकसद को और कामयाब बनाने के लिए मशहूर पटवा टोली को विलेज ऑफ आईआईटीयन बनाने की तैयारी है. इस बड़े मकसद में छात्रों को सफल करने के लिए पूरी पढ़ाई नि:शुल्क दी जाती है. इससे वर्तमान में वृक्ष संस्था का नाम दिया गया है. ऐसे में गरीब तबके से लेकर आम छात्र आईआईटियन बनने का सपना साकार करते हैं.
यहां दिल्ली से भी ऑनलाइन क्लास ली जाती है. प्रत्येक वर्ष सफल होते हैं छात्र मुफ्त शिक्षा देने वाली वृक्ष संस्था में प्रत्येक वर्ष दर्जन भर से अधिक छात्र आईआईटी और जेईई की परीक्षा में सफलता प्राप्त करते हैं. इस सफलता का आधार है निशुल्क संचालित शिक्षण संस्थान वृक्ष विद द चेंज.
ताकि पढ़ाई में गरीबी न बने बाधा
वृक्ष संस्था के संस्थापक चंद्रकांत पाटेकर बताते हैं, “इसकी शुरुआत साल 2013 में हुई. हमें इसकी प्रेरणा अपने गरीब दोस्तों से मिली. क्योंकि वे लोग गरीबी में पढ़ नहीं सके. अब हमारा मकसद ये है कि कोई भी छात्र गरीबी के कारण पढ़ाई न छोड़ें. छात्रों को सफल करने के लिए पूरी पढ़ाई नि:शुल्क दी जाती है. इससे वर्तमान में वृक्ष संस्था का नाम दिया गया है. ऐसे में गरीब तबके से लेकर आम छात्र आईआईटियन बनने का सपना साकार करते हैं.”
गांव के हर घर में इंजीनियर
इंजीनियरों और चिकित्सा पेशेवरों को तैयार करने की समृद्ध विरासत के साथ, पटवा टोली शिक्षा एवं सामुदायिक समर्थन की परिवर्तनकारी शक्ति के प्रमाण के रूप में स्थापित हुआ है. इस गाँव में बड़ी संख्या में IIT क्वालिफायर हैं और लगभग हर घर में एक इंजीनियर है.