कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही नजर आ जाते हैं. पेरिस ओलंपिक में भारत के लिए पदक का खाता खोलने वाली मनु भाकर पर यह कहावत बिल्कुल ठीक बैठती है. कभी मां ने घर पर अलेके छोड़ा तो घंटों तक मनु अकेले खिलखिलाती रह गई. बच्ची की इस निर्भिकता और निडरता देख मां ने उसका नाम मनु रखा. माने झांसी की रानी. आज उस मनु ने उसे साबित कर दिखाया है.
‘कभी पिस्टल ने दिया था धोखा..’
निशानेबाजी में मनु कोई भी मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं. मनु भाकर का ब्रॉन्ज मेडल जीतने का सफर आसान नहीं रहा है. मनु भाकर का यह मेडल का सफर आसान नहीं रहा है. यह मनु भाकर का दूसरा ही ओलंपिक है. उन्होंने पिछले यानी टोक्यो ओलंपिक 2020 में डेब्यू किया था, लेकिन 10 मीटर एयर पिस्टल क्वालिफिकेशन राउंड के दौरान उनकी पिस्टल खराब हो गई थी. इस कारण वो पिछली बार मेडल नहीं जीत सकी थीं. मगर इस बार मनु ने अपना पूरा जोर दिखाया और किस्मत पर हावी होते हुए मेडल पर निशाना साध दिया.
पेरिस 2024 ओलंपिक शूटिंग प्रतियोगिता में 22 साल की मनु भाकर महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल, 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम और महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा में प्रतिस्पर्धा कर रही हैं. वह 21 सदस्यीय भारतीय शूटिंग टीम से कई व्यक्तिगत स्पर्धाओं में हिस्सा लेने वाली एकमात्र एथलीट हैं.
मनु के नाम दर्ज हैं कई रिकॉर्ड
मनु ने 2023 एशियन शूटिंग चैम्पियनशिप में महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा में पांचवें स्थान पर रहने के बाद भारत के लिए पेरिस 2024 ओलंपिक कोटा हासिल किया था. मनु भाकर ISSF वर्ल्ड कप में गोल्ड मेडल जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय हैं. वह गोल्ड कोस्ट 2018 में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कॉमनवेल्थ गेम्स की चैम्पियन भी हैं, जहां उन्होंने CWG रिकॉर्ड के साथ शीर्ष पदक जीता था. मनु भाकर ब्यूनस आयर्स 2018 में यूथ ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय निशानेबाज और देश की पहली महिला एथलीट भी हैं. उन्होंने पिछले साल एशियाई खेलों में महिलाओं की 25 मीटर टीम पिस्टल का खिताब जीता था.
आंख में चोट के बाद छोड़ दी थी बॉक्सिंग
मनु का जन्म हरियाना के झज्जर में हुआ. स्कूल के दिनों में मनु ने टेनिस, स्केटिंग और मुक्केबाजी जैसे खेलों में खूब हिस्सा लिया करती थी. लेकिन एक बार मुक्केबाजी के दौरान आंख में चोट लगने के बाद उन्होंने बॉक्सिंग छोड़ दी और फिर निशानेबाजी को अपना करियर बना लिया. मनु ने 14 साल की उम्र में उन्होंने शूटिंग में अपना करियर बनाने का फैसला किया, उस वक्त रियो ओलंपिक 2016 खत्म ही हुआ था. इसके एक हफ्ते के अंदर ही उन्होंने अपने पिता से शूटिंग पिस्टल लाने को कहा. उनके हमेशा साथ देने वाले पिता राम किशन भाकर ने उन्हें एक बंदूक खरीदकर दी और वो एक ऐसा फैसला था जिसने एक दिन मनु भाकर को ओलंपियन बना दिया. आपको यह जानकर भी बेहद खुशी होगी कि भारत ने 2012 लंदन ओलंपिक के बाद निशानेबाजी में कोई पदक नहीं जीता था और अब भाकर ने मेडल सूखे को खत्म किया है. आज इस बिटिया पर पूरे देश को गर्व है.