“उनकी आंखों में स्वस्थ भारत का सपना पलता है। उनकी पहल से सुदूर ग्रामीण इलाकों की फिजा में जागरूकता आ रही है। गांव के लोग स्वास्थ्य के प्रति सजग हो रहे । इनके प्रयासों से जिंदगी का गुलशन गुलजार हो रहा है। आशाओं का दामन थाम हाशिए पर रह रहे लोगों की दिन रात मदद के लिए तत्पर रहने वाले डॉक्टर निखिल रंजन चौधरी की उम्मीद और उर्जा से लबरेज यह कहानी जरूर पढ़ें।”
आम तौर पर बिहार जैसे राज्य में लोगों के अंदर यह धारणा रहती है कि जब तक वो गंभीर रुप से बीमार न हो जाएं उन्हें डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है। यह धारणा इतनी खतरनाक है कि ज्यादातर मरीज उस स्टेज में हम डॉक्टरों के पास पहुंचते हैं जब चाहकर भी हम उन्हें ठीक नहीं कर पाते। बीमारी अपने अंतिम चरण तक पहुंच चुकी होती है , जिंदगी और मौत के बीच काफी कम फासला बचा होता है। मैंने बतौर चिकित्सक ऐसे कई केसेज देखें जिसमें अगर मरीज शुरूआत में इलाज के लिए आ जाता तो उसकी जिंदगी बच सकती थी। किसी भी परिवार में एक सदस्य की जिंदगी पर पूरे परिवार की धूरी टीकी होती है, खासकर तब जब वह परिवार का मुखिया हो। ऐसे में मुझे लगा की लोगों की जिंदगी बचाने के लिए उन्हें स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना सबसे जरूरी है।ऐसा करके हजारों जिंदगी बचायी जा सकती है फिर मैंने लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया। मैं लोगों को समय पर अस्पताल आने, और ईयरली हेल्थ चेकअप के लिए जागरूक करता हूं। उन्हें यह बताता हूं कि थोड़ी भी दिक्कत होने पर चिकित्सक से सलाह जरूर लें और आवश्यक हो तो जांच भी जरूर कराएं। कहते हैं यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर निखिल रंजन चौधरी।डॉक्टर निखिल पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में चिकित्सक हैं।
छुट्टी वाले दिन लगाते हैं स्वास्थ्य शिविर
डॉक्टर निखिल लोगों को स्वास्थ के प्रति जागरूक करने के लिए अनोखी मुहिम चला रहे हैं। छुट्टी वाले दिनों में वे बिहार के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में जा कर स्वास्थ्य जागरूकता शिविर का आयोजन करते हैं। इन शिविरों में लोगों को जागरूक करने के साथ साथ उनका निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जाता है।
डॉक्टर निखिल अब तक ऐसे दर्जनों स्वास्थ्य शिविर का सफल आयोजन कर चुके हैं। लगभग हर रविवार को वह ऐसे आयोजनों में समय देते हैं। बिहार के समस्तीपुर, सुपौल, मोकामा और झारखंड के चपला में वे नियमित रूप से निशुल्क स्वास्थ्य जांच व जागरूकता शिविरों का आयोजन करते रहे हैं।
खुद भी करते हैं रक्त दान
निशुल्क स्वास्थ्य शिविर के साथ-साथ डॉक्टर निखिल रंजन रक्तदान की मुहिम भी चलाया करते हैं। वे अब तक दर्जनों रक्तदान शिविर का आयोजन सहभागिता कर चुके हैं। सामाजिक संगठनों द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में भी उनकी सहभागिता बढ़-चढ़कर रहती है। डॉक्टर निखिल न सिर्फ रक्तदान शिविर का आयोजन करते हैं बल्कि खुद भी रक्तदान करते हैं। डॉक्टर निखिल कहते हैं कि साल में कम से कम एक बार रक्तदान जरूर करें। रक्तदान बड़ा ही पुण्य का कार्य है । रक्तदान कर आप किसी की जिंदगी बचा सकते हैं।
24 घंटे ऑन रहता है मोबाइल
डॉक्टर निखिल बताते हैं कि फोन के द्वारा भी वे जरूरतमंदों की मदद और उन्हें उचित सलाह दिया करते हैं।वें बताते हैं कि उनका मोबाइल 24 घंटे ऑन रहता है।
मरीजों से दोस्तान व्यवहार
डॉक्टर निखिल बताते हैं कि उनके अस्पताल में ज्यादा मरीज ग्रामीण इलाकों से आते हैं। उनके अंदर बीमारी को लेकर एक भय का माहौल रहता है ।ऐसे में मेरी पहली कोशिश उनसे मित्रवत व्यवहार कर उनके भय को खत्म करने और आत्मविश्वास बढ़ाने की होती है। मैं यह भी मानता हूं कि चिकित्सक के अच्छे व्यवहार से मरीज खुलकर अपनी परेशानी बता पता है और इससे हमें चिकित्सा में काफी मदद मिलती है साथ ही मरीज को मानसिक रूप से सुकून भी मिलता है।
यहां बीता बचपन
डॉक्टर निखिल का जन्म रांची में हुआ था। रांची अब झारखंड की राजधानी है। डॉक्टर निखिल बताते हैं कि उनका बचपन रांची और पटना आते -जाते बीता इसकी वजह यह रही कि डॉक्टर निखिल के पिता रांची विश्वविद्यालय में वनस्पतिशास्त्र के प्राध्यापक थे वहीं नानाजी पटना में इंजीनियर। इस कारण ननिहाल पटना ही आना जाना लगा होता।
ऐसा रहा डॉक्टर बनने का सफर
डॉक्टर निखिल की स्कूली शिक्षा रांची के संत जेवियर स्कूल से हुई। ,
उन्होंने कोलकाता से MBBS की पढ़ाई की वहीं रांची स्थित रिम्स से PG किया । सीनियर रेजिडेंसी के लिए फिर उन्होंने हनुमानजी नैनीताल का रूख किया । नैनीताल में वे एक साल तक रहें। 2012 – 2015 तक आईजीआईएमएस से MCH यूरोलॉजी किया। इसके बाद 2015 से 2019 तक वे पटना के महावीर कैंसर संस्थान में यूरोलॉजिस्ट के तौर पर कार्यरत रहे। इसके बाद से वे आईजीआईएमएस में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। डॉक्टर निखिल ने महावीर कैंसर संस्थान में कार्य करने के दौरान राजेंद्रनगर पटना में अपनी प्रेक्टिस भी की थी। यहां उस दौर में मरीजों की भीड़ लगी रहती। यहां भी डॉक्टर निखिल गरीबों का निःशुल्क इलाज किया करते थे।
* घर के माहौल ने दी प्रेरणा
डॉक्टर निखिल बताते हैं बचपन में घर के माहौल ने डॉक्टर बनने में काफी मदद की। घर में हमेशा पढ़ाई का माहौल रहता। वें आगे बताते हैं कि वह दौर मोबाइल फोन का नहीं था, परिवार के हर सदस्य बच्चों की पढ़ाई का काफी ख्याल रखते। सबके पास पर्याप्त समय एक दूसरे के लिए हुआ करता था। पिता जी के प्रोफेसर होने के कारण घर में हमेशा किताबों की मौजूदगी होती। उन दिनों बच्चों के नैतिक मूल्यों पर काफी जोर दिया जाता था। मेरी मौसी भी डॉक्टर है ऐसे में मुझे लगा कि आगे जाकर कोई ऐसा पेशा चुना जाए जिसमें समाज के लोगों के सेवा की पूरी गुंजाइश हो और यह एक डॉक्टर के रूप में काफी हद तक संभव था।
परिवार का हर कदम पर मिला साथ
डॉक्टर निखिल बताते हैं कि जीवन के हर अच्छे बुरे वक्त में परिवार के सभी सदस्यों का खुब साथ मिला। पत्नी नेहा सिंह जो खुद पेशे से डॉक्टर हैं और एम्स पटना में कार्यरत हैं ने हमेशा परिवार की मजबूत धूरी का कार्य किया है।जब कभी निराशा हुई उन्होंने भरपूर हौसला दिया है। जीवन के कई अहम फैसले में पत्नी का साथ तो मिला ही सामाजिक कार्यों में भी वह मेरा हौसला बढ़ाती है। कई स्वास्थ्य शिविर में हम दोनों साथ भी होते हैं। डॉक्टर निखिल आगे बताते हैं कि डॉ नेहा एम्स के ब्लड बैंक में हेड के तौर पर कार्यरत हैं, रक्तदान की मुहिम में उनका हमेशा साथ और सहयोग मिलता रहता है। वो खुद भी मुझे रक्तदान करने के लिए प्रेरित करती रहतीं है।
बच्चे से मिलती है ऊर्जा
डॉक्टर निखिल कहते हैं कि हम डॉक्टर का पेशा काफी चुनौतीपूर्ण होता है और ऐसे में हमें अपने लिए काफी कम समय मिल पाता है ऐसे में मेरे पांच साल का बेटा नव्यांश के तुतली आवाज से सारी थकान दूर हो जाती है। डॉक्टर निखिल आगे कहते हैं कि छोटे बच्चे भी जीवन की कई बारिकियां आपको खेल- खेल में सीखा जाते हैं।
सपना चैरिटेबल अस्पताल खोलने का
डॉक्टर निखिल कहते हैं कि उनका सपना एक ऐसे चैरिटेबल अस्पताल खोलने की है जिससे विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं एक छत के नीचे मौजूद हो।इस अस्पताल में सेवाओं की दर कम से कम रखी जाए जिससे आम और खास के बीच उत्तम स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर फर्क मिट सके। वें कहते हैं कि बिहार जैसे राज्य में ऐसे अस्पताल की काफी आवश्यकता है।
बदलाव के लिए मेहनत करे युवा
डॉक्टर निखिल रंजन चौधरी मानते हैं कि समाज में परिवर्तन की काफी आवश्यकता है और इस परिवर्तन के लिए युवाओं को आगे आने की जरूरत है, मेहनत करने की जरूरत है। वें कहते हैं कि आज युवा दौलत और शोहरत कमाने का शॉर्टकट रास्ता अपनाना चाहते हैं। इससे बचने की जरूरत है ।सफलता का आकाश मेहनत के दम पर ही मिलता है।
ऐसे रहेंगे आप स्वस्थ
डॉक्टर निखिल कहते हैं कि यूरोलॉजी से संबंधित समस्या से बचाव के लिए जागरूक काफी जरूरी है। सेहत को लेकर जागरूक रहें।खुब पानी पीएं। नशा का सेवन न करें रुटिन हेल्थ चेकअप कराते रहे और अगर किसी तरह की समस्या नजर आ रही हो तो तुरंत यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें। वें आगे कहते हैं कि यहां ख़र्च के डर से बीमारी को छुपाने का प्रचलन है इससे बचने की जरूरत है। बिहार के सरकारी अस्पतालों में भी सभी संसाधन काफी कम दर पर उपलब्ध है आप उनका लाभ लें और स्वास्थ रहें।
फिलहाल डॉक्टर निखिल अपने जन-सेवा की मशाल जलाएं स्वस्थ भारत की रौशनी जन-जन तक पहुंचाने में जुटे हैं। डॉक्टर निखिल के इन प्रयासों से जहां समाज स्वस्थ हो सबल हो रहा है वहीं लोगों को भी मिल रही है प्रेरणा।